तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के 90वें जन्मदिवस पर भारत के करीब 80 सांसदों ने उन्हें भारत रत्न देने की मांग की है। धर्मशाला में आयोजित समारोह में केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री और कई दलों के सांसदों ने भाग लिया। यह मांग ऑल पार्टी इंडियन पार्लियामेंट्री फोरम ऑन तिब्बत के बैनर तले उठी है। इस प्रयास से चीन को आपत्ति हो सकती है क्योंकि दलाई लामा की तिब्बत पर भूमिका को लेकर वह पहले से ही संवेदनशील है।
दलाई लामा को भारत रत्न देने की मांग तेज, 80 सांसदों ने दिए समर्थन के हस्ताक्षर
1. 90वें जन्मदिन पर धर्मशाला में हुआ बड़ा आयोजन
6 जुलाई को तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा
90 वर्ष के हो गए। इस खास अवसर पर हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में भव्य कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमें केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, ललन सिंह, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और कई सांसदों ने भाग लिया। इसी दौरान, भारत रत्न देने की मांग को लेकर बड़ा बयान सामने आया।
2. 80 सांसदों ने की भारत रत्न की डिमांड, फोरम हुआ सक्रिय
इस मौके पर ‘ऑल पार्टी इंडियन पार्लियामेंट्री फोरम ऑन तिब्बत’ (All Party Indian Parliamentary Forum on Tibet) ने दलाई लामा को भारत रत्न देने की पुरजोर मांग की। फोरम के संयोजक बीजेपी सांसद भर्तृहरि महताब हैं। इस प्रस्ताव पर अब तक करीब 80 सांसद हस्ताक्षर कर चुके हैं। फोरम का लक्ष्य है कि जैसे ही 100 सांसदों का समर्थन मिल जाएगा, यह ज्ञापन प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को सौंपा जाएगा।
3. चीन को लगेगी मिर्ची? तिब्बत के मुद्दे पर खुला रुख
राज्यसभा सांसद सुजीत कुमार ने कहा कि चीन को उत्तराधिकारी तय करने में कोई भूमिका नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि दिसंबर 2021 से यह फोरम फिर से सक्रिय हुआ है और तब से तिब्बती प्रतिनिधियों से कई दौर की मुलाकातें हो चुकी हैं। इससे पहले भी चीनी दूतावास ने भारतीय सांसदों को पत्र लिखकर तिब्बती फोर्स का समर्थन ना करने की चेतावनी दी थी।
4. टोक्यो से लेकर धर्मशाला तक सांसदों की सक्रियता
हाल ही में सुजीत कुमार, तापिर गाओ और सपा के एक अन्य सांसद टोक्यो में आयोजित वर्ल्ड पार्लियामेंटेरियंस कन्वेंशन ऑन तिब्बत में शामिल हुए थे। यह दिखाता है कि भारत के सांसद अब वैश्विक मंचों पर भी तिब्बती मुद्दे को मजबूती से उठा रहे हैं।
5. भारत के सबसे सम्मानित अतिथि हैं दलाई लामा: रिजिजू
केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने कहा कि दलाई लामा भारत के सबसे सम्मानित मेहमान हैं और वे भारत को अपना घर मानते हैं। उन्होंने उन्हें भारत का पुत्र बताया और कहा कि वे भारतीय ज्ञान और संस्कृति के सबसे बड़े दूत हैं।
दलाई लामा को भारत रत्न देने की यह मांग केवल एक सम्मान नहीं, बल्कि भारत और तिब्बती संबंधों की ऐतिहासिक परंपरा का प्रमाण भी है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है।



















