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फर्रुखाबाद के छेदा नगला गांव में न्याय की हत्या! – पुलिसिया जुल्म, रिश्वतखोरी और नेताओं की मिलीभगत से टूट गया दिलीप का जीवन

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में एक बेहद संवेदनशील और शर्मनाक घटना सामने आई है, जहां छेदा नगला गांव के 26 वर्षीय दिलीप कुमार राजपूत को पुलिस ने चौकी में बेरहमी से पीटा, ₹50,000 की रिश्वत मांगी

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में एक बेहद संवेदनशील और शर्मनाक घटना सामने आई है, जहां छेदा नगला गांव के 26 वर्षीय दिलीप कुमार राजपूत को पुलिस ने चौकी में बेरहमी से पीटा, ₹50,000 की रिश्वत मांगी, और जब पीड़ित ने आत्महत्या की, तो पुलिसकर्मियों ने शव और साक्ष्यों को मिटाने की कोशिश की। इस पूरे मामले में क्षेत्रीय नेताओं की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठे हैं। परिवारजन और ग्रामीणों की मांग है – दोषी पुलिसकर्मियों को उम्रकैद और बर्खास्तगी की सजा मिले। उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के छेदा नगला गांव में दिलीप कुमार राजपूत नामक युवक की आत्महत्या एक सामान्य घटना नहीं बल्कि पुलिसिया जुल्म, राजनीतिक संरक्षण और भ्रष्टाचार का एक भयानक उदाहरण बन गई है। FIR संख्या 031642029250224 और ग्रामीणों के आरोपों ने पुलिस प्रशासन और नेताओं की गठजोड़ पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

दिलीप और नीरज के बीच का विवाद बना बर्बादी की जड़

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जनपद के फर्रुखाबाद विधानसभा क्षेत्र के थाना मउदरवाजा के अंतर्गत आने वाले छेदा नगला गांव में रहने वाले 26 वर्षीय दिलीप कुमार राजपूत और उनकी पत्नी नीरज देवी (उम्र 25 वर्ष) के बीच घरेलू कहासुनी और मामूली झगड़ा हुआ। इसी झगड़े की शिकायत नीरज देवी ने हथियापुर पुलिस चौकी में दर्ज कराई।

पुलिस की त्वरित कार्रवाई की उम्मीद करते हुए जब दिलीप को चौकी बुलाया गया, तो किसी को अंदाजा नहीं था कि वहां उसके साथ जो कुछ होगा, वो उसका जीवन ही समाप्त कर देगा।

चौकी में पुलिसिया कहर: 2-4 थप्पड़ों से शुरू हुआ दर्द, जान लेकर खत्म हुआ

जैसे ही दिलीप हथियापुर चौकी पहुंचा, पुलिसवालों ने बिना किसी प्राथमिक पूछताछ या जांच के 2-4 थप्पड़ मार दिए। उसके माता-पिता, पिता राम रईस राजपूत और मां मीरा देवी, इस जुल्म को आंखों के सामने होते हुए देखते रहे लेकिन कुछ कर नहीं सके।

इसके बाद दिलीप को बेरहमी से पीटा गया। परिजनों ने INDC Network से बात करते हुए बताया कि पुलिस वालों ने दिलीप को केवल इसलिए पीटा क्योंकि नीरज ने उसके खिलाफ शिकायत की थी और वह ‘पुलिस की नजर में आरोपी’ बन चुका था।

₹50,000 की रिश्वत, फिर भी ना मिला चैन

परिजनों का आरोप है कि दिलीप को हथियापुर चौकी से छोड़ने के लिए पुलिस ने ₹50,000 की मांग की। लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर परिवार ₹50,000 नहीं दे सका और ₹40,000 की भारी रकम किसी तरह जुटाकर दी गई।

दुखद बात यह रही कि ₹40,000 देने के बाद भी दिलीप राजपूत को चौकी से छोड़े जाने के बाद फिर प्रताड़ित किया गया। यह पुलिसिया अमानवीयता का चरम था।

सफ़ेद पैंट पर लिखा मौत का दस्तावेज – आत्महत्या से पहले की अंतिम चीख
दिलीप राजपूत ने इस घटना के बाद काले पेन से अपनी सफेद पैंट पर लिखा कि उसके साथ क्या-क्या हुआ। उसने अपने ऊपर हुए अत्याचार को खुद अपनी लिखावट में उजागर किया।

इसके बाद दिलीप ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। जब परिवार वालों ने शव देखा, तो उसकी पैंट पर पुलिसिया जुल्म और रिश्वतखोरी की पूरी कहानी लिखी हुई थी।

सबूत मिटाने पहुंची पुलिस – शव को सील करने की कोशिश, महिलाओं को बाहर निकाल दिया

घटना के कुछ ही देर बाद 4 से 5 पुलिसकर्मी दिलीप के घर पहुंचे। परिवारजनों का आरोप है कि पुलिस ने सबूत मिटाने के इरादे से घर की सभी महिलाओं को बाहर कर दिया और शव को सील करके ले जाने की कोशिश की। इस दौरान दिलीप की चाची घर में बनी रहीं और उन्होंने हंगामा मचा दिया। इसके बाद गांव में मामला गरमा गया और लोगों की भीड़ जमा हो गई। पुलिस को पीछे हटना पड़ा।

मामले में नेताओं की मिलीभगत – सांसद के भतीजे पर गंभीर आरोप

परिवारजनों ने फर्रुखाबाद के भाजपा सांसद मुकेश राजपूत के भतीजे राहुल राजपूत(चेयरमैन, संकिसा फर्रुखाबाद), पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। परिवार जनों का आरोप है कि राहुल राजपूत ने पुलिसवालों के साथ मिलकर साक्ष्य मिटाने की कोशिश की। गांव वालों का कहना है कि नेता और पुलिस प्रशासन पूरी तरह भ्रष्ट हो चुके हैं। पैसे और पद के दम पर वे किसी की भी आवाज दबा सकते हैं।

दोषी पुलिसकर्मी – नाम और चेहरे
परिजनों ने जिन पुलिसकर्मियों पर आरोप लगाए हैं, वे हैं:
महेश उपाध्याय – हथियापुर चौकी में कार्यरत
यशवंत सिंह – हथियापुर चौकी में कार्यरत

इन सभी पर दिलीप की पिटाई, रिश्वत मांगने, सबूत मिटाने और आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप है।

घटना स्थल पर कम से कम 50 से अधिक पुलिसकर्मी मौजूद थे जिसमें से एक बलराज भाटी भी थे जो थाना अध्यक्ष, मउदरवाजा थाना हैं

सवाल जो जवाब मांगते हैं:

1. क्या बिना जांच के किसी युवक को चौकी में पीटना कानूनन सही है?

2. क्या ₹50,000 की रिश्वत वसूलना एक संगीन अपराध नहीं है

3.जब युवक ने आत्महत्या कर ली, तो पुलिस ने शव को सील करने की कोशिश क्यों की?

4.दिलीप की लिखी गई पैंट को जब्त क्यों नहीं किया गया?

5. सांसद का भतीजा पुलिस के साथ साक्ष्य क्यों मिटा रहा था?

ग्रामवासियों और क्षेत्र की प्रतिक्रिया – गुस्से में जनता

गांव छेदा नगला और आसपास के इलाकों के लोग इस घटना से स्तब्ध हैं। उनका कहना है कि अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह अन्याय आम बात बन जाएगी।

लोगों की मांग:

  • दोषी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त और गिरफ्तार किया जाए।
  • राहुल राजपूत जैसे नेताओं की भूमिका की जांच हो।
  • दिलीप को न्याय दिलाने के लिए हाई लेवल जांच बैठाई जाए।
  • पीड़ित परिवार को कम से कम ₹50 लाख मुआवजा और सरकारी नौकरी दी जाए।

क्या यूपी में पुलिस और राजनीति का गठजोड़ न्याय की हत्या कर रहा है?

यह सवाल अब सिर्फ फर्रुखाबाद तक सीमित नहीं है। उत्तर प्रदेश में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां पुलिस, पैसा और राजनीति का त्रिकोण गरीब, पीड़ित और कमजोर तबकों को कुचल देता है।
जब एक आम युवक अपनी पत्नी से झगड़े के बाद चौकी जाता है और उसे न्याय के बजाय 2-4 थप्पड़ मिलते हैं, तो यह सिर्फ एक युवक की मौत नहीं बल्कि व्यवस्था की हत्या है।

FIR में दर्ज घटनाक्रम

6 जुलाई 2025 को लगभग 5:30 बजे शाम दिलीप कुमार राजपूत को हथियापुर चौकी बुलाया गया। FIR दर्ज कराने वाले उसके पिता रामरईस ने स्पष्ट आरोप लगाए कि दिलीप को वहां तैनात पुलिसकर्मियों ने बुरी तरह मारा-पीटा। सिपाही यशवंत सिंह और महेश उपाध्याय पर आरोप है कि उन्होंने बिना किसी विधिक प्रक्रिया के दिलीप को प्रताड़ित किया।

इसके अलावा FIR में यह भी दर्ज है कि दिलीप को ₹50,000 की रिश्वत देने के लिए दबाव डाला गया। जब परिवार ने किसी तरह ₹40,000 की व्यवस्था की तब भी उसे छोड़ने के बाद मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।

अब भी अगर चुप रहे, तो अगला दिलीप राजपूत आप या हम हो सकते हैं

दिलीप राजपूत की मौत एक केस नहीं, एक चीख है – व्यवस्था के अंदर बैठे भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ। अगर आज दोषियों को सजा नहीं मिली, तो कल और कई दिलीप राजपूत इसी तरह चुपचाप मिटा दिए जाएंगे।

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