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यूपी में प्राथमिक स्कूलों के विलय का रास्ता साफ, हाईकोर्ट ने याचिकाएं खारिज कीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश में प्राथमिक स्कूलों के विलय के आदेश को चुनौती देने वाली दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया है। याचियों ने इस मर्जर को बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन बताया था, जबकि सरकार ने इसे संसाधनों के समुचित उपयोग और शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की नीति बताया। कोर्ट के फैसले से राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश में प्राथमिक स्कूलों के विलय के आदेश को चुनौती देने वाली दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया है। याचियों ने इस मर्जर को बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन बताया था, जबकि सरकार ने इसे संसाधनों के समुचित उपयोग और शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की नीति बताया। कोर्ट के फैसले से राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है।

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: यूपी में प्राथमिक स्कूलों के विलय पर नहीं लगेगी रोक, याचिकाएं खारिज

स्कूल मर्जर पर हाईकोर्ट की मुहर

उत्तर प्रदेश में सरकारी प्राथमिक स्कूलों के विलय की योजना को लेकर दाखिल की गई दोनों जनहित याचिकाएं सोमवार को खारिज कर दी गईं। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार द्वारा 16 जून 2025 को जारी स्कूल विलय का आदेश कानूनी है और बच्चों के हित में लिया गया निर्णय है।

क्या थी याचियों की आपत्तियां?

सीतापुर जिले के कुछ प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले 51 बच्चों की ओर से याचिका दायर की गई थी। याचियों का कहना था कि सरकार का यह फैसला बच्चों के “निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिकार कानून 2009” का उल्लंघन करता है। उनका तर्क था कि स्कूलों के विलय से छोटे बच्चों को 3-5 किलोमीटर दूर स्कूल जाना पड़ेगा, जिससे बालिकाएं और गरीब बच्चे शिक्षा से वंचित हो सकते हैं।

सरकार ने दिया संसाधन उपयोग और गुणवत्ता सुधार का तर्क

राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि प्रदेश में कई ऐसे स्कूल हैं जहां नामांकन शून्य है या संख्या बेहद कम है। ऐसे स्कूलों को आसपास के बड़े स्कूलों में मर्ज करने से संसाधनों और शिक्षकों का बेहतर उपयोग हो सकेगा। सरकार ने 18 ऐसे प्राथमिक विद्यालयों का उदाहरण भी दिया जिनमें एक भी छात्र नहीं है।

कोर्ट का तर्क: मर्जर छात्रों के हित में

कोर्ट ने माना कि राज्य सरकार का फैसला शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के उद्देश्य से लिया गया है और इसमें छात्रों के अधिकारों का हनन नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी माना कि मर्जर से शिक्षकों की उपलब्धता बढ़ेगी और विद्यार्थियों को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी।

अंतिम निर्णय: याचिकाएं खारिज, आदेश बरकरार

शुक्रवार को सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसे सोमवार को सुनाया गया। इस फैसले से अब राज्य सरकार बिना रोक-टोक के मर्जर प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकती है। इससे पहले मर्जर को लेकर प्रदेश में विरोध और आंदोलन हो रहे थे।

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