INDC Network : अरुणांचल प्रदेश : अरुणाचल प्रदेश में मिजिंग समुदाय के दो युवकों की कथित हत्या के बाद असम के मिजिंग संगठनों ने विरोध स्वरूप मंगलवार को जोरदार सड़क जाम किया। मिजिंग समुदाय की तीन प्रमुख संस्थाओं — टाकम मिजिंग पोरिन केबांग, टाकम मिजिंग मिमे केबांग, और मिजिंग मिमांग केबांग — ने “अनिश्चितकालीन सड़क अवरोध” का आह्वान करते हुए अरुणाचल से जुड़ने वाले सात प्रमुख मार्गों को अवरुद्ध कर दिया।
यह भी पढ़ें : भारत ने ईरान यात्रा पर दी चेतावनी, इज़राइल-ईरान संघर्ष के बीच बढ़ा तनाव
दो हत्याएं, एक समुदाय:
पहली घटना 18 जून को हुई, जब 22 वर्षीय प्रबास डोले, असम के धेमाजी जिले का निवासी, अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर के पास स्थित चिम्पू गांव में काम करते समय मारा गया। पुलिस के अनुसार, उसका हत्यारा ताई जॉन उसे एक तुच्छ विवाद में मार डाला।
दूसरी घटना 13 जुलाई को घटी, जब 29 वर्षीय शंकर पेगु को अरुणाचल प्रदेश के लोअर दिबांग वैली जिले के रोइंग टाउन में गोली मार दी गई। आरोपी की पहचान तदार भाई के रूप में हुई, जो एक सब-कॉन्ट्रैक्टर है और पीड़ित के साथ कार्यरत था। तदार ने इसे “दुर्घटनावश गोली चलना” बताया, लेकिन पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर हथियार जब्त कर लिया है और जांच जारी है।
सामाजिक आक्रोश और राजनीतिक दबाव:
इन घटनाओं ने मिजिंग समुदाय में जबरदस्त रोष उत्पन्न किया, क्योंकि यह समुदाय असम और अरुणाचल दोनों राज्यों में बड़ी संख्या में रहता है। असम में यह दूसरा सबसे बड़ा जनजातीय समूह है। संगठनों ने इसे केवल “अपराध” मानने से इनकार किया और समुदाय के प्रति बढ़ती असुरक्षा की भावना व्यक्त की।
सरकारी प्रतिक्रिया:
अरुणाचल प्रदेश के आईजीपी चुक्कु आपा ने समुदाय को आश्वस्त करते हुए कहा, “हम इन मामलों को बेहद गंभीरता से ले रहे हैं। ये दोनों अलग-अलग आपराधिक घटनाएं हैं और किसी समुदाय को लक्षित करने का उद्देश्य नहीं है।”
उन्होंने कहा कि डोले हत्याकांड की जांच पूरी हो चुकी है और अब फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (FSL) रिपोर्ट का इंतजार है। पेगु मामले में भी जांच जारी है और चार्जशीट तैयार की जा रही है।
यह भी पढ़ें : ट्रंप बोले: एपस्टीन फाइल्स ओबामा, बाइडन और कोमी की बनाई झूठी कहानी है
प्रदर्शन स्थगित लेकिन असंतोष कायम:
टाकम मिजिंग पोरिन केबांग की ओर से जारी बयान में कहा गया कि उन्हें दोनों राज्य सरकारों से संवाद मिला है और जल्द न्याय का भरोसा दिया गया है। इसी कारण विरोध को “अस्थायी रूप से स्थगित” किया गया है। हालांकि संगठन ने चेतावनी दी कि अगर जांच में ढिलाई बरती गई या न्याय में देरी हुई, तो फिर से आंदोलन शुरू किया जाएगा।
अरुणाचल प्रदेश में काम के दौरान मिजिंग युवकों की हत्या न केवल कानून-व्यवस्था का मामला है, बल्कि यह समुदायों के बीच विश्वास की नींव को भी चुनौती देता है। यह जरूरी है कि दोनों राज्य सरकारें केवल आश्वासन न दें, बल्कि ठोस कार्रवाई कर समुदाय का भरोसा वापस जीतें।