INDC Network : गोरखपुर, उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर से एक चिंताजनक घटना सामने आई है। बालापार क्षेत्र के चिलुआताल थाना अंतर्गत एक कंपोजिट सरकारी विद्यालय में कक्षा पांच के एक छात्र के ऊपर क्लासरूम की छत का प्लास्टर गिर पड़ा, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया।
छात्र का नाम विक्रम बताया गया है, जिसे पहले गुरु गोरक्षनाथ यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में प्राथमिक उपचार दिया गया, फिर स्थिति गंभीर होने पर उसे बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया।
स्थानीय लोगों के अनुसार, स्कूल की छत पहले से जर्जर स्थिति में थी, लेकिन प्रशासन द्वारा कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई।
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“CM City” की हकीकत — एक बच्चा, एक छत और सवालों का पहाड़
घटना के बाद सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विकास मॉडल की कड़ी आलोचना हुई।
भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने एक पोस्ट में लिखा:
“यह घटना केवल एक हादसा नहीं, बल्कि सरकारी स्कूलों की जर्जर हालत और लापरवाह व्यवस्था की पोल खोलती है — और वो भी उस ज़िले में, जिसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का ‘नमूना विकास’ कहा जाता है।”
उन्होंने सरकार से निम्नलिखित मांगें की:
- स्कूल भवन की तत्काल मरम्मत और सुरक्षा ऑडिट
- ज़िम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई
- छात्र को उचित मुआवज़ा और इलाज
- परिवार को आर्थिक सहायता
- देशभर के सभी सरकारी स्कूलों की सुरक्षा ऑडिट
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: “डबल इंजन की कबाड़ा सरकार”
आप पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी सोशल मीडिया पर सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा:
“गोरखपुर: पाँचवी में पढ़ने वाले मासूम विक्रम को नही मालूम था उसके सरकारी स्कूल की छत भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। शनिवार की सुबह छत गिरने से उसका सिर फट गया… ‘मोदी-योगी का कबाड़ा डबल इंजन।’”
इस बयान के बाद सत्ताधारी दल की जवाबदेही पर फिर बहस छिड़ गई है।
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गांव-देहात के स्कूलों की हालत — सिर्फ गोरखपुर नहीं, पूरे राज्य की कहानी
उत्तर प्रदेश में हजारों प्राथमिक विद्यालयों की हालत जर्जर है।
- अधिकतर भवनों की छतों में सीलन,
- दीवारों में दरारें,
- बेंच व टेबल की कमी,
- और शौचालयों का अभाव —
इन सबके बीच बच्चों को पढ़ाई के लिए मजबूर किया जा रहा है।
सरकारी आंकड़ों और Comptroller and Auditor General (CAG) रिपोर्ट्स भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि यूपी में स्कूल इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थिति गंभीर चिंता का विषय है।
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प्रशासन की चुप्पी और शिक्षा विभाग की नाकामी
घटना के बाद जिला प्रशासन या शिक्षा विभाग की ओर से अब तक कोई स्पष्ट प्रेस विज्ञप्ति जारी नहीं की गई है। केवल यह पुष्टि हुई है कि घायल छात्र का इलाज जारी है और मामले की “जांच” की जा रही है।
पर सवाल उठता है:
क्या हर हादसे के बाद सिर्फ “जांच” ही समाधान है?
क्या बच्चों की सुरक्षा इसी तरह बिन जवाबदेही के जोखिम में डाली जाएगी?
गोरखपुर की यह घटना न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था की कमजोर नींव को उजागर करती है, बल्कि “विकास” के दावों की पोल भी खोलती है।
जब मुख्यमंत्री के जिले में स्कूल असुरक्षित हैं, तो बाकी जिलों की कल्पना करना भी भयावह है।
अब वक्त है कि राज्य सरकार शिक्षा को केवल चुनावी नारे न बनाए, बल्कि जमीनी सुधार लाकर बच्चों को सुरक्षित और सम्मानजनक शिक्षा का अधिकार दे।
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