INDC Network : नई दिल्ली, भारत : पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन: किसान आंदोलन से लेकर धारा 370 तक रहा मुखर योगदान
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का आज 79 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वह पिछले कई महीनों से दिल्ली के डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती थे और मंगलवार दोपहर लगभग 1 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनकी मौत की पुष्टि उनके एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट से की गई, जिसमें लिखा गया, “पूर्व गवर्नर चौधरी सत्यपाल सिंह मलिक जी नहीं रहे।
राजनीतिक करियर की शुरुआत समाजवादी विचारधारा से
सत्यपाल मलिक ने छात्र राजनीति से अपने करियर की शुरुआत की थी। वह समाजवादी विचारधारा से प्रभावित रहे और धीरे-धीरे सांसद से लेकर राज्यपाल तक का सफर तय किया। वह शुरुआती वर्षों में समाजवादी नेता रहे लेकिन बाद में भाजपा में शामिल होकर कई राज्यों में राज्यपाल के पद पर नियुक्त हुए।
राज्यपाल के रूप में सेवाएं
सत्यपाल मलिक ने निम्नलिखित राज्यों में राज्यपाल के रूप में कार्य किया:
- जम्मू-कश्मीर (2018–2019)
धारा 370 को समाप्त किए जाने के दौरान वह जम्मू-कश्मीर के अंतिम पूर्ण राज्यपाल थे। 5 अगस्त 2019 को जब विशेष राज्य का दर्जा हटाया गया, उस समय वह राज्य के संवैधानिक प्रमुख थे। - गोवा (2019–2020)
यहाँ उन्होंने प्रशासनिक मजबूती और भ्रष्टाचार के विरुद्ध कई कदम उठाए। - मेघालय (2020–2022)
मेघालय में उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े कई मामलों में सक्रिय भूमिका निभाई।
किसान आंदोलन में खुलकर समर्थन
सत्यपाल मलिक किसान आंदोलन के मुखर समर्थक रहे। उन्होंने कई बार सार्वजनिक मंचों से केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की और विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की। उन्होंने तीनों कृषि बिलों को किसानों के खिलाफ बताया था और कहा था कि सरकार को उन्हें वापिस लेना चाहिए।
उन्होंने चौधरी चरण सिंह को अपना राजनीतिक गुरु बताया और हमेशा किसान हितों की पैरवी की। कई राज्यों में किसानों से मिलने और आंदोलन के समर्थन में उन्होंने यात्राएं की थीं।
प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना
सत्यपाल मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की भी कई बार आलोचना की। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि सरकार भ्रष्टाचार के मामलों पर चुप है। वह अक्सर अपने बयानों को लेकर मीडिया में चर्चित रहे।
योगदान और उपलब्धियाँ
क्षेत्र | योगदान |
---|---|
राजनीति | सांसद, कई बार राज्यपाल |
प्रशासन | धारा 370 समाप्ति के दौरान संवैधानिक प्रमुख |
किसान आंदोलन | खुले समर्थन और केंद्र सरकार की आलोचना |
समाजसेवा | शिक्षा, स्वास्थ्य और पारदर्शिता के लिए कार्य |
अंतिम समय
उनके निजी सहायक ने 9 जुलाई को बताया था कि उनकी तबीयत बेहद गंभीर है। लंबे समय तक अस्पताल में इलाज चलने के बाद आज उनका निधन हो गया। देशभर से राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
सत्यपाल मलिक के निधन पर कई राजनेताओं ने दुःख जताया है :
नेता प्रतिपक्ष एवं सांसद राहुल गाँधी ने लिखा है कि “पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक जी के निधन की ख़बर सुनकर बेहद दुख हुआ। मैं उन्हें हमेशा एक ऐसे इंसान के रूप में याद करूंगा, जो आख़िरी वक्त तक बिना डरे सच बोलते रहे और जनता के हितों की बात करते रहे। मैं उनके परिवारजनों, समर्थकों और शुभचिंतकों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।”
आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सांसद चंद्रशेखर आजाद ने लिखा है कि “पूर्व राज्यपाल श्रद्धेय सत्यपाल मलिक जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद। मुझे उनके साथ कई महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा का अवसर प्राप्त हुआ था और उनके स्पष्टवादी व्यक्तित्व, जनसरोकारों के प्रति उनकी निष्ठा और निडरता ने हमेशा प्रेरित किया। उनका निधन मेरे लिए एक व्यक्तिगत क्षति है। वे सदैव किसानों, जवानों और आम जनता के मुद्दों पर निर्भीकता से अपनी बात रखने वाले नेता के रूप में याद किए जाएंगे। हम इस शोक की घड़ी में उनके परिजनों और अनुयायियों के प्रति अपनी संवेदनाएं प्रकट करते हैं। साथ ही प्रकृति से प्रार्थना है कि वो हम सबको यह अपार दुःख सहने की शक्ति प्रदान करे। विनम्र आदरांजलि। जय भीम, जय भारत।”
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