INDC Network : नई दिल्ली, भारत : संसद के मानसून सत्र के बीच सोमवार को विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA ब्लॉक ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) और 2024 लोकसभा चुनाव में कथित “वोट चोरी” के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, सपा प्रमुख अखिलेश यादव समेत कई सांसद संसद परिसर से चुनाव आयोग तक मार्च निकालने निकले, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक दिया।
सुबह करीब 11:30 बजे संसद के मकर द्वार से यह विरोध यात्रा शुरू हुई, जो ट्रांसपोर्ट भवन मार्ग से होते हुए निर्वाचन सदन (Election Commission Office) की ओर बढ़ रही थी। दिल्ली पुलिस का कहना था कि इस मार्च के लिए औपचारिक अनुमति नहीं ली गई थी, इसलिए बैरिकेड लगाकर रोकना पड़ा।
संसद के अंदर भी हंगामा
दिन की शुरुआत से ही लोकसभा और राज्यसभा दोनों में विपक्षी सांसद SIR विवाद पर चर्चा की मांग को लेकर नारेबाजी कर रहे थे। लोकसभा की कार्यवाही 11 बजे शुरू होते ही कांग्रेस और अन्य दलों के सांसद खड़े होकर “वोट चोरी बंद करो” जैसे नारे लगाने लगे। स्पीकर ओम बिड़ला ने प्रश्नकाल चलाने की कोशिश की, लेकिन हंगामे के चलते करीब 10 मिनट में ही कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दी गई।

राज्यसभा में भी यही माहौल रहा। जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी सांसद वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। डिप्टी चेयरमैन हरिवंश ने 29 नोटिस खारिज किए, जो नियम 267 के तहत तत्काल चर्चा की मांग करते थे। उन्होंने ज़ीरो ऑवर शुरू करने का प्रयास किया, लेकिन नारेबाजी और विरोध के कारण सदन स्थगित करना पड़ा।
सड़क पर विरोध और बैरिकेड फांदना
संसद से निकलते समय दिल्ली पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर INDIA ब्लॉक नेताओं को रोका। इसी दौरान एक नाटकीय पल तब आया जब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पुलिस बैरिकेड फांद दिया। वहीं, सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा, “सांसदों को दिल्ली की सड़कों पर चलने के लिए अनुमति की ज़रूरत नहीं होती… यदि सांसद सड़क पर निकलने से खतरा है, तो यह व्यवस्था की नाकामी है।”
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
इस बीच, चुनाव आयोग ने कांग्रेस सांसद जयराम रमेश के अनुरोध पर विपक्षी दलों के 30 प्रतिनिधियों को मिलने की अनुमति दी। आयोग ने जगह की कमी का हवाला देते हुए गाड़ियों और व्यक्तियों की सूची मांगी। मुलाकात का समय दोपहर 12 बजे तय किया गया। हालांकि, विपक्ष का आरोप है कि आयोग SIR से जुड़ा “क्लासिफाइड डेटा” साझा नहीं कर रहा है और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद पारदर्शिता से बच रहा है।
विपक्ष का ऐतिहासिक तुलना वाला बयान
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने इस विरोध को महात्मा गांधी के ऐतिहासिक दांडी मार्च से जोड़ा और कहा कि यह लड़ाई लोकतंत्र बचाने के लिए है।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले SIR विवाद ने संसद से लेकर सड़क तक माहौल गरमा दिया है। INDIA ब्लॉक का कहना है कि यह मतदाता सूची पुनरीक्षण “जनादेश की चोरी” का प्रयास है, जबकि चुनाव आयोग अपनी प्रक्रिया को पारदर्शी और कानूनी बता रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और राजनीतिक तापमान बढ़ा सकता है।
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