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हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: यूपी के चार मेडिकल कॉलेजों में आरक्षण आदेश निरस्त, छात्रों पर संकट

INDC Network : लखनऊ, उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा झटका सामने आया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अंबेडकरनगर, कन्नौज, जालौन और सहारनपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में लागू आरक्षण से संबंधित शासनादेशों को निरस्त कर दिया है। यह फैसला एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया गया, जिसे नीट अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल किया गया था।

अदालत ने स्पष्ट किया कि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती और इस सीमा को किसी भी शासनादेश के जरिए पार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 2006 के सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार ‘आरक्षण की सीमा’ का उल्लंघन असंवैधानिक है और इससे सामान्य श्रेणी के छात्रों के अधिकार प्रभावित होते हैं।

दरअसल, राज्य सरकार ने इन चार मेडिकल कॉलेजों में 79 प्रतिशत तक आरक्षण लागू कर दिया था, जिसके खिलाफ याचिका दायर की गई। याचिकाकर्ता का कहना था कि यह व्यवस्था संविधान के मूल ढांचे और सर्वोच्च न्यायालय की व्यवस्था के खिलाफ है। कोर्ट ने इस दलील को सही मानते हुए शासनादेशों को खारिज कर दिया।

इस फैसले से अब तक इन मेडिकल कॉलेजों में दाखिला ले चुके 10 हजार से ज्यादा छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में लटक गया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के सामने अब यह सबसे बड़ी चुनौती है कि पहले से हुए दाखिलों का क्या होगा। काउंसलिंग प्रक्रिया भी प्रभावित हो सकती है और छात्रों को दोबारा एडमिशन प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला उत्तर प्रदेश की चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था पर गहरा असर डाल सकता है। कई छात्रों का भविष्य संशय में है और आने वाले दिनों में यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच सकता है।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि राज्य सरकार ने अनुचित तरीके से 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण लागू किया है तो यह न केवल असंवैधानिक है बल्कि छात्रों के साथ अन्याय भी है। अब राज्य सरकार को इस मसले पर नई नीति बनानी होगी ताकि छात्रों का भविष्य सुरक्षित रहे और आरक्षण व्यवस्था भी संवैधानिक मर्यादाओं के अनुसार लागू हो सके।

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