INDC Network : फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश : अंतरराष्ट्रीय संस्था प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय ओम निवास, जटवारा जदीद अंगूरीबाग, फर्रुखाबाद में नवरात्रि और दशहरा पर्व आध्यात्मिक उत्साह और सांस्कृतिक गरिमा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर नौ देवियों की चैतन्य झांकी सजाई गई, जिसे देखकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो उठे।
कार्यक्रम में नेकी और बदी की नृत्य नाटिका का मंचन किया गया, जिसमें रावण और उसके साथ काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार जैसे अवगुणों का प्रतीकात्मक अंत कर आध्यात्मिक दशहरे का संदेश दिया गया।
इस अवसर पर शोभा दीदी ने कहा कि भारत की सभ्यता और संस्कृति का वास्तविक स्वरूप हमारे पर्व-त्योहारों में झलकता है। उन्होंने बताया कि नवरात्रि में कलश पूजन और कन्या पूजन का विशेष महत्व है। आध्यात्मिक दृष्टि से कलश का अर्थ है — परमात्मा द्वारा ज्ञान का दीप प्रज्वलित करना और अज्ञान अंधकार का नाश करना।
ज्योति बहन ने भ्रूण हत्या पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कन्या जन्म लेती है तो वह देवी स्वरूप होती है। नारी का सम्मान ही देवत्व का आधार है।
संजय गर्ग ने कहा कि कन्या देव समान है और उनका दृष्टिकोण पवित्र होना चाहिए। यदि कोई दूषित दृष्टि डाले तो मां दुर्गा का काली रूप स्वयं ही आसुरी प्रवृत्तियों का विनाश करता है।
चित्रा अग्निहोत्री ने कहा कि जब मनुष्य में श्रेष्ठ संस्कार और गुणों का संचार होता है तभी मां लक्ष्मी का आगमन होता है और जीवन में समृद्धि आती है।
इस अवसर पर कन्हैया लाल जैन, देवेंद्र नारायण श्रीवास्तव, रोमी श्रीवास्तव, अनिल सक्सेना और ममता सक्सेना ने नौ देवियों का पूजन कर नारियल और चुनरी अर्पित की। देवी भजनों से आश्रम में दिव्यता का वातावरण छा गया। कार्यक्रम का संचालन सुवालाल मिश्रा ने किया। अंत में सभी ने ओमशांति मंत्रोच्चार के साथ एक-दूसरे को शुभकामनाएं दीं।