INDC Network : आगरा, उत्तर प्रदेश : आगरा पुलिस कमिश्नरेट में गुरुवार को एक सनसनीखेज प्रकरण सामने आया, जब लूट के आरोपियों को मुठभेड़ से बचाने के मामले में बालूगंज चौकी के इंचार्ज समेत आठ पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया। जिन अधिकारियों पर गाज गिरी, उनमें चार उपनिरीक्षक और चार आरक्षी शामिल हैं।
यह पूरा मामला 23 जुलाई को शुरू हुआ, जब थाना रकाबगंज क्षेत्र में पुलिस कमिश्नर आवास के पास एक मोबाइल लूट की वारदात हुई। जंगजीत नगर निवासी राकेश मथुरिया अपनी साइकिल से घर लौट रहे थे, तभी बाइक सवार तीन बदमाशों ने उनका मोबाइल छीन लिया और फरार हो गए। यह घटना रकाबगंज थाने में दर्ज कराई गई।
हैरानी की बात तब सामने आई जब अगले ही दिन पुलिस ने जानकारी दी कि तीनों आरोपी — सादाब उर्फ फैज, साहिल और केशव — में से दो को गिरफ्तार कर लिया गया है और एक फरार है। पुलिस ने दावा किया कि आरोपियों से लूटा गया मोबाइल और घटना में प्रयुक्त बाइक भी बरामद कर ली गई है।
मगर इसके बाद पुलिस महकमे में कानाफूसी शुरू हुई कि यह गिरफ्तारी पूरी तरह स्क्रिप्टेड थी। आरोप सामने आए कि आरोपियों को चौकी पर बुलाया गया था और उन्हें आश्वासन दिया गया था कि “मुठभेड़ नहीं होगी, गोली नहीं लगेगी, सिर्फ गिरफ्तारी दिखा देंगे।”
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यह ‘सेटिंग’ एक मध्यस्थ के जरिए कराई गई थी। जब यह बात वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंची तो एडिशनल डीसीपी आदित्य कुमार ने इसकी जांच करवाई। शुरुआती जांच में ही मामला सही पाया गया और गुरुवार शाम वायरलेस सेट पर सख्त संदेश भेजते हुए सभी आठ पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
निलंबित पुलिसकर्मी हैं:
- अमित कुमार राणा (चौकी इंचार्ज, बालूगंज)
- राहुल गिरी (एसआई)
- अंकित (एसआई)
- विनय धारा (एसआई)
- धर्मेंद्र कुमार (मुख्य आरक्षी)
- आलोक कुमार (मुख्य आरक्षी)
- विकास यादव (कांस्टेबल)
- मोहम्मद आमिर आलम (कांस्टेबल)
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यदि कोई लुटेरा खुद चौकी आकर सरेंडर करता है, तो इसके पीछे कोई न कोई आपराधिक ‘सेटिंग’ अवश्य होती है। यह गंभीर मामला पुलिस की छवि और जनता के भरोसे पर सीधा प्रहार है।
फिलहाल सभी को सस्पेंड कर मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है। INDC नेटवर्क इस खबर पर आगे की कार्रवाई की अपडेट भी देगा।