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आगरा में बिजली दरों की प्रस्तावित वृद्धि पर व्यापारी, किसान और उद्योगपतियों का जोरदार विरोध

आगरा में प्रस्तावित बिजली दरों में वृद्धि के विरोध में व्यापारियों, किसानों और उद्योगपतियों ने जनसुनवाई के दौरान अपनी आवाज बुलंद की। सभी वर्गों ने उत्पादन लागत बढ़ने, प्रतिस्पर्धा घटने और निजीकरण के खतरे का हवाला देते हुए इस फैसले का कड़ा विरोध किया। किसानों ने नलकूपों पर बिजली की मांग की और संघर्ष समिति ने निजीकरण का प्रस्ताव रद्द करने की मांग रखी।

INDC Network : आगरा, उत्तर प्रदेश : आगरा में बिजली दरें बढ़ाने के प्रस्ताव पर उबाल, जनसुनवाई में उठी विरोध की आवाजें

आगरा में मंगलवार को आरबीएस कॉलेज के सभागार में आयोजित उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग की जनसुनवाई में व्यापारियों, किसानों और उद्यमियों ने प्रस्तावित बिजली दरों में वृद्धि पर जमकर विरोध जताया। जनसुनवाई में आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार की उपस्थिति में विभिन्न संगठनों ने अपनी बात रखी और बिजली दरों में बढ़ोतरी को जनविरोधी कदम करार दिया।

व्यापारियों और उद्योगपतियों का विरोध

फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह सोबती ने कहा कि बिजली दरें बढ़ने से राज्य में उत्पादित वस्तुएं महंगी होंगी, जिससे प्रदेश का व्यापार प्रभावित होगा और प्रतिस्पर्धा में गिरावट आएगी। उन्होंने मांग की कि दरों को घटाया जाए, क्योंकि शहरी क्षेत्रों में लाइनलास घटकर मात्र 4% रह गया है।

फेडरेशन ऑफ उद्योग व्यापार एसोसिएशन के अध्यक्ष हरेश अग्रवाल और रवींद्र अग्रवाल ने बिजली चोरी और अधिकारियों की मिलीभगत की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए और प्रीपेड मीटर को वैकल्पिक बनाया जाना चाहिए, न कि अनिवार्य।

लघु उद्योग भारती के जिलाध्यक्ष विजय गुप्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पहले से ही बिजली दरें पड़ोसी राज्यों से ज्यादा हैं। दरों में वृद्धि से लघु उद्योगों को नुकसान होगा और प्रदेश का औद्योगिक विकास प्रभावित होगा।

किसानों की पीड़ा और नलकूपों पर बिजली की मांग

किसान नेता मोहन सिंह चाहर ने नलकूपों पर रात्रिकालीन बिजली आपूर्ति की मांग करते हुए कहा कि कम से कम सिंगल फेस की बिजली भी मिले ताकि किसान खेती की रखवाली कर सकें।

भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष राजवीर सिंह लवानिया ने टोरेंट पावर और विद्युत नियामक आयोग के खिलाफ जमकर गुस्सा निकाला। उन्होंने कहा कि वर्षों से किसान परेशान हैं, लेकिन समाधान नहीं निकल रहा। वे “आयोग मुर्दाबाद” के नारे लगाते हुए सभागार से बाहर निकल गए।

निजीकरण पर संघर्ष समिति का विरोध

जनसुनवाई के दौरान संघर्ष समिति और उपभोक्ता परिषद ने उत्तर प्रदेश में विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण को जनविरोधी करार देते हुए इस प्रस्ताव को रद्द करने की मांग की। उनका कहना था कि जहां-जहां बिजली वितरण निजी हाथों में गया है, वहां उपभोक्ताओं की स्थिति खराब हुई है।

आयोग की सफाई और जवाब

उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने जनसुनवाई के अंत में कहा कि किसी एक क्षेत्र के लाइनलास के आधार पर बिजली दरें तय नहीं होतीं, बल्कि वितरण कंपनियों के घाटे और लाभ के आधार पर होती हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नलकूप कनेक्शन को दर वृद्धि प्रस्ताव से बाहर रखा गया है।

साथ ही उन्होंने पीएम सूर्य योजना के तहत अब तक केवल 22 आवेदन पूरे होने पर नाराजगी जताई और अधिकारियों को इसमें तेजी लाने के निर्देश दिए।


आगरा की जनसुनवाई में बिजली दरों में प्रस्तावित बढ़ोतरी का पुरजोर विरोध देखने को मिला। व्यापारियों से लेकर किसानों तक सभी वर्गों ने दर वृद्धि को नकारात्मक बताया और मांग की कि इसे वापस लिया जाए। साथ ही निजीकरण का मुद्दा भी गरमाया रहा, जिससे भविष्य में इस पर बड़े आंदोलन की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता

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