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आगरा के स्कूल में गिरा जर्जर गेट और दीवार, 10 साल की बच्ची की मौत

INDC Network : आगरा,उत्तर प्रदेश : स्कूल की जर्जर दीवार ने ली मासूम की जान

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के पिढोरा थाना क्षेत्र स्थित पोखरा गगनकी गांव में एक हृदय विदारक हादसा सामने आया है। प्राथमिक विद्यालय की बाउंड्री वॉल और गेट गुरुवार शाम बारिश की सीलन के कारण अचानक गिर पड़े। इस हादसे में कक्षा पांच की छात्रा 10 वर्षीय चांदनी की मलबे में दबकर मौत हो गई, जबकि तीन अन्य बच्चियां किसी तरह बच गईं।


बारिश के बाद गिरा 30 मीटर लंबा हिस्सा

गुरुवार शाम करीब 4 बजे स्कूल की लगभग 30 मीटर लंबी बाउंड्री वॉल और करीब तीन मीटर ऊंचा गेट तेज बारिश के बाद गीली मिट्टी और सीलन के कारण भरभराकर गिर गया। उस समय कई बच्चे स्कूल के बाहर खेल रहे थे। अचानक हुई इस घटना से भगदड़ मच गई।

चांदनी दीवार के पास खड़ी थी, जिसके ऊपर सीधा मलबा गिरा। जब तक ग्रामीण पहुंचे और उसे मलबे से निकाला गया, उसकी मौत हो चुकी थी।


तीन बच्चियां बाल-बाल बचीं

इस हादसे में तीन अन्य बच्चियां – राधिका, दिव्या और निशा भी वहां मौजूद थीं, लेकिन वे मलबे की चपेट में आने से बाल-बाल बच गईं। ग्रामीणों ने बताया कि कुछ सेकंड का ही फर्क था, नहीं तो एक साथ चार मासूमों की जान जा सकती थी।


बेटी खोने से टूट गया परिवार

मृतक छात्रा चांदनी के पिता केशव मुंबई में मजदूरी करते हैं। चांदनी की मां जमुना देवी, दादी फूलों देवी और दादा बदन सिंह का रो-रोकर बुरा हाल है। परिवार में चांदनी के अलावा एक बेटा प्रदीप (8) और दो छोटी बेटियां राधिका (5) और दुर्गेश (3) हैं।


स्कूल को पहले ही घोषित किया गया था जर्जर

गांववालों का आरोप है कि इस प्राथमिक विद्यालय के भवन को जुलाई 2025 में ही जर्जर घोषित किया गया था। बावजूद इसके यहां बच्चों की पढ़ाई लगातार जारी थी। घटना के दो दिन पहले से ही स्कूल में कोई शिक्षक उपस्थित नहीं था, जिससे साफ है कि स्कूल प्रबंधन द्वारा सुरक्षा मानकों की अनदेखी की गई थी।


प्रशासनिक टीम पहुंची मौके पर

हादसे की सूचना मिलते ही राजस्व विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई। कानूनगो रामनिवास, लेखपाल राघवेन्द्र गौतम और ग्राम प्रधान राजेश ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।


शव ले जाने के लिए बनानी पड़ी अस्थायी राह

गगनकी गांव तक कोई पक्का रास्ता न होने की वजह से शव को गांव से बाहर निकालने में मुश्किल आई। यमुना नदी के किनारे से होकर ट्रैक्टर की मदद से रास्ता बनाकर शव को बाहर निकाला गया।


लापरवाही पर उठे सवाल, जांच की मांग

इस हादसे ने प्रशासन और शिक्षा विभाग की लापरवाही को एक बार फिर उजागर कर दिया है। ग्रामीणों और परिजनों ने मांग की है कि जर्जर भवन में पढ़ाई क्यों चल रही थी, इसकी निष्पक्ष जांच हो और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

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