INDC Network : जम्मू-कश्मीर : जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में गुरुवार दोपहर 12:30 बजे एक दिल दहला देने वाली घटना घटी, जब चशोटी गांव में मचैल माता यात्रा के पहले पड़ाव पर बादल फट गया। इस हादसे ने श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों के बीच अफरा-तफरी मचा दी। प्रशासन और राहत दल मौके पर तुरंत पहुंचे, लेकिन पानी और मलबे के तेज बहाव के कारण राहत कार्य बेहद मुश्किल रहा।
मिली जानकारी के अनुसार, हादसा उस समय हुआ जब हजारों श्रद्धालु मचैल माता की वार्षिक यात्रा में शामिल होने के लिए चशोटी गांव में जुटे थे। यह गांव पड्डर सब-डिवीजन में स्थित है और यात्रा के लिए महत्वपूर्ण पड़ाव माना जाता है। यहां श्रद्धालुओं की बसें, टेंट, लंगर और कई दुकानें मौजूद थीं। बादल फटने के बाद पहाड़ से आए पानी और मलबे ने इन सभी को बहा दिया।
अब तक प्रशासन ने 38 लोगों की मौत की पुष्टि की है, जबकि 65 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है। इसके बावजूद करीब 200 लोग अभी भी लापता हैं, जिनकी खोज जारी है। राहत एवं बचाव कार्य के लिए एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और सेना की टीमें तैनात की गई हैं।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, बादल फटने के समय बारिश बहुत तेज थी और अचानक पहाड़ी से पानी और मलबा तेजी से नीचे आया। श्रद्धालु, जो यात्रा की तैयारी में लगे थे, उसके चपेट में आ गए। कुछ लोग समय रहते सुरक्षित स्थान पर पहुंच गए, जबकि कई लोग बहाव में फंस गए।
मचैल माता यात्रा हर साल अगस्त में आयोजित होती है और यह 25 जुलाई से शुरू होकर 5 सितंबर तक चलती है। इस यात्रा का मार्ग जम्मू से किश्तवाड़ तक 210 किलोमीटर लंबा है। पद्दर से चशोटी तक यात्री बसों या अन्य वाहनों से 19.5 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं, इसके बाद 8.5 किलोमीटर की पैदल यात्रा होती है। इस बार यात्रा के पहले पड़ाव पर ही यह भीषण हादसा हो गया।
प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। घायलों का इलाज नजदीकी अस्पतालों में चल रहा है, जबकि गंभीर रूप से घायल लोगों को एयरलिफ्ट करके जम्मू के बड़े अस्पतालों में भेजा जा रहा है।
अधिकारियों ने यात्रियों और स्थानीय लोगों से अपील की है कि वे सुरक्षित स्थानों पर रहें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। वहीं मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है, जिससे बचाव कार्यों में और चुनौतियां आ सकती हैं।
यह घटना मचैल माता यात्रा के इतिहास में सबसे भीषण त्रासदियों में से एक मानी जा रही है। श्रद्धालुओं की भीड़ और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों ने इस हादसे के प्रभाव को और भी बढ़ा दिया है। प्रशासन ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं और दोषियों की जिम्मेदारी तय करने की बात कही है।