INDC Network : फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश : फर्रुखाबाद में एक इंटर कॉलेज के प्रबंधक और शिक्षक पर दलित सहायक अध्यापक के साथ जातिसूचक गालियां देने और मारपीट करने का आरोप लगा है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ ने इस मामले में जिला अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जनपद में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक दलित शिक्षक के साथ मारपीट और जातिसूचक गालियों का मामला प्रकाश में आया है। घटना के बाद जिले में शिक्षा जगत में आक्रोश फैल गया है।
मामला शक्ति सैनिक इंटर कॉलेज मौधा, फर्रुखाबाद का है, जहां सामाजिक विज्ञान के सहायक अध्यापक मनोज कुमार ने आरोप लगाया है कि 13 अगस्त 2025 की सुबह करीब 10 बजे कॉलेज के प्रबंधक पीयूष कुमार (पुत्र गजेंद्र पाल सिंह राठौड़) ने उन्हें अपने कक्ष में बुलाकर बिना किसी कारण के अपमानित किया। पीड़ित शिक्षक के अनुसार, प्रबंधक ने जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा — “तू साले चमार बैठ जा नहीं तो तुझे सही कर दूंगा।“
मनोज कुमार का आरोप है कि प्रबंधक ने उनसे नियुक्ति के समय कथित रूप से मांगे गए पैसे न देने का दबाव बनाया और धमकी दी कि वे उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर देंगे। इस दौरान भूगोल के प्रवक्ता एवं वित्तविहीन शिक्षक देवेंद्र सिंह ने भी उनके साथ मारपीट की। पीड़ित का कहना है कि प्रबंधक ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी, जिससे वे मानसिक रूप से भयभीत हैं और उन्हें अपनी जान का खतरा महसूस हो रहा है।

शिक्षक संगठन ने ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया कि विद्यालय समय में प्रबंधक और प्रबंधन समिति के सदस्य विद्यालय परिसर में बैठकर शिक्षकों से जबरन वसूली करते हैं, जिससे पढ़ाई का माहौल प्रभावित होता है। संगठन ने मांग की है कि विद्यालय अवधि में प्रबंधक अथवा प्रबंधन समिति का कोई सदस्य विद्यालय में प्रवेश न करे, ताकि शिक्षण कार्य निर्बाध रूप से चल सके।
इस गंभीर मामले को लेकर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष प्रवेश रत्न शाक्य और जिला मंत्री अर्जुन प्रताप सिंह ने जिला अधिकारी को सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन सौंपते समय मंडल अध्यक्ष महिपाल सिंह सहित कई अन्य शिक्षक भी मौजूद थे।
जिला अध्यक्ष प्रवेश रतन शाक्य ने कहा कि यह घटना बेहद शर्मनाक है और इससे न केवल शिक्षक समुदाय की गरिमा को ठेस पहुंची है बल्कि यह सामाजिक सौहार्द के लिए भी खतरा है। उन्होंने प्रशासन से दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
इस पूरे घटनाक्रम ने जिले में जातिवाद और शिक्षा संस्थानों में अनुशासनहीनता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर कहा जाता है कि विद्यालय में जाति और धर्म की कोई जगह नहीं होती, वहीं इस तरह की घटनाएं समाज के लिए चिंता का विषय हैं।
अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस मामले में कितनी तेजी और सख्ती से कार्रवाई करता है, ताकि भविष्य में किसी शिक्षक या कर्मचारी को इस तरह के अपमान और हिंसा का सामना न करना पड़े।
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