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पहलगाम हमले पर खरगे के सवाल, नड्डा बोले- आजादी के बाद नहीं हुआ ऐसा ऑपरेशन

INDC Network : राज्य सभा, नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र 2025 की शुरुआत पहले ही दिन तीखी बहस और आरोप-प्रत्यारोप के साथ हुई। राज्यसभा में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार को पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कठघरे में खड़ा किया। खरगे ने सवाल उठाया कि हमले के आरोपी अब तक न तो मारे गए हैं और न ही गिरफ्तार हुए हैं। उन्होंने सरकार पर सुरक्षा में लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि एलजी और कुछ वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने भी इस बात को स्वीकार किया है।

खरगे ने कहा कि सभी दलों ने इस गंभीर हमले के बाद सरकार को समर्थन दिया, ऐसे में अब सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह संसद को पूरे घटनाक्रम की जानकारी दे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि भारत-पाकिस्तान समझौता मेरी मध्यस्थता से हुआ, तो यह देश के लिए अपमानजनक था।

इस पर राज्यसभा में सदन के नेता और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जोरदार पलटवार करते हुए कहा कि सरकार ऑपरेशन सिंदूर पर खुलकर चर्चा के लिए तैयार है और हर सवाल का जवाब सदन में दिया जाएगा। नड्डा ने कहा, “देश की आजादी के बाद ऐसा ऑपरेशन कभी नहीं हुआ, जैसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ऑपरेशन सिंदूर हुआ है।”

नड्डा ने यह भी स्पष्ट किया कि सदन में इस पर चर्चा के लिए नोटिस दिया गया है और जैसे ही समय तय होगा, विस्तृत चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि विपक्ष को इस मुद्दे को राजनीति का विषय नहीं बनाना चाहिए बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर एकजुट रहना चाहिए।

खरगे की ओर से उठाए गए सवालों पर सत्ता पक्ष की ओर से तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली। भाजपा सांसदों ने कांग्रेस पर सुरक्षा मामलों का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। विपक्ष की ओर से मांग की गई कि सरकार यह स्पष्ट करे कि अब तक की जांच में क्या सामने आया, और ऑपरेशन सिंदूर के परिणाम क्या रहे।

इस बीच, कई अन्य विपक्षी दलों ने भी खरगे की मांग का समर्थन किया और कहा कि पहलगाम हमला बेहद संवेदनशील विषय है, जिस पर पारदर्शिता आवश्यक है। वहीं, सत्ता पक्ष ने बार-बार दोहराया कि सरकार पारदर्शिता के साथ काम कर रही है और देश की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।

संसद में यह बहस आने वाले दिनों में और तेज हो सकती है, क्योंकि विपक्ष इस मुद्दे को लेकर आक्रामक रुख अपनाए हुए है। वहीं, सरकार का जोर इस बात पर है कि ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की सुरक्षा रणनीति को नई दिशा दी है।

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