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मैनपुरी में गणित की नई क्रांति : शून्य सहित सबसे छोटी संख्या लिखने की रत्नेश की तार्किक अवधारणा ने जीते 650+ शिक्षकों के दिल

INDC Network : मैनपुरी,उत्तर प्रदेश : 650+ शिक्षकों और एआरपी ने दिया समर्थन : गणित शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण और नई तार्किक सोच प्रस्तुत करते हुए गणितज्ञ और एआरपी गणित रत्नेश कुमार, ने “सबसे छोटी संख्या लिखने की नई पद्धति” पर शोध और प्रदर्शन किया है।

रत्नेश कुमार ने ब्लॉक शैक्षिक संसाधन केंद्र, सुल्तानगंज (भोगांव, मैनपुरी) में चल रहे FLN प्रशिक्षण के दौरान अपनी इस अवधारणा का सातों बैचों में लगभग 650 से अधिक शिक्षकों के समक्ष प्रदर्शन किया। सभी शिक्षकों ने इस नये विचार को 100% तार्किक, सहज और उपयोगी मानते हुए लिखित सहमति दी। लगभग 110 शिक्षकों ने अपने हस्ताक्षर और टिप्पणियाँ देकर इस अवधारणा को सही, सटीक और वैज्ञानिक करार दिया।


परंपरागत बनाम रत्नेश कुमार की अवधारणा

परंपरागत मान्यता के अनुसार
0,1,2 अंकों से बनने वाली 3 अंकों की सबसे छोटी संख्या = 102
0,1,2,3 अंकों से बनने वाली 4 अंकों की सबसे छोटी संख्या = 1023

रत्नेश कुमार की नई अवधारणा के अनुसार
0,1,2 अंकों से बनने वाली 3 अंकों की सबसे छोटी संख्या = 012
0,1,2,3 अंकों से बनने वाली 4 अंकों की सबसे छोटी संख्या = 0123

इस नई सोच में सबसे बड़ी और सबसे छोटी संख्या में स्पष्ट अंतर बना रहता है। साथ ही यह अवधारणा फैक्टोरियल नियम, 9 से विभाज्यता, 11 से विभाज्यता जैसे गणितीय नियमों का पूर्णतः पालन करती है, जबकि परंपरागत पद्धति इन नियमों का उल्लंघन करती है।

शिक्षकों एवं एआरपी की प्रतिक्रियाएँ

अमित दुबे, सहायक अध्यापक, प्राथमिक विद्यालय धारापुर ने कहा “गणितज्ञ रत्नेश कुमार द्वारा प्रस्तुत अवधारणा पूरी तरह तार्किक, सरल और सहज है। यदि इस अवधारणा को पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित कर लिया जाता है तो गणित सरल हो जाएगा और बच्चों के मन से डर और भ्रम दूर हो जाएगा।”

कुलदीप कुमार वर्मा, एआरपी अंग्रेजी, सुल्तानगंज (जिन्होंने नवोदय और सर्वोदय विद्यालयों में अपने 17 बच्चों का चयन भी करवाया है) ने कहा “रत्नेश कुमार द्वारा शून्य की अवधारणा और विभिन्न अंकों से बनने वाली सबसे छोटी संख्याओं पर जो नया प्रकाश डाला गया है, उसमें परंपरागत अवधारणा पर तार्किक रूप से गंभीर प्रश्न उठाए गए हैं। यह पहल अत्यंत विचारणीय और सराहनीय है। मैं इसका पूर्ण समर्थन करता हूँ।”

अखिलेश कुमार, सहायक अध्यापक, प्राथमिक विद्यालय नगला मुकुंद ने कहा “यह अवधारणा पाठ्यक्रम में अनुप्रयोग करने योग्य है और शिक्षा में सार्थक परिवर्तन ला सकती है।”

बृजेश प्रताप सिंह, एआरपी विज्ञान, ब्लॉक सुल्तानगंज ने कहा “गणितज्ञ रत्नेश जी द्वारा प्रस्तुत सबसे छोटी संख्या लिखने की अवधारणा सही, सरल और पूर्णतः तार्किक है।”


शिक्षकों का मानना है कि यदि यह अवधारणा पाठ्यपुस्तकों में सम्मिलित कर दी जाती है तो गणित बच्चों के लिए और अधिक सरल, रोचक और बोधगम्य हो जाएगा। इससे बच्चों के मन से गणित का डर और भ्रम दूर होगा तथा उनका झुकाव गणित की ओर स्वाभाविक रूप से बढ़ेगा।

नोट : यह अवधारणा गणितज्ञ रत्नेश कुमार द्वारा “सबसे छोटी संख्याएँ लिखने के रत्नेश के तर्क” शीर्षक पुस्तक में विकसित की गई है और कॉपीराइट कार्यालय, नई दिल्ली में पंजीकृत है। बिना अनुमति इसका उपयोग अनुचित एवं अवैध होगा।

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