INDC Network : उत्तर प्रदेश, भारत : उत्तर प्रदेश में इस समय बाढ़ ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। लगातार हो रही बारिश और नदियों के उफान से कई जिलों के सैकड़ों गांव जलमग्न हो गए हैं। खेतों में खड़ी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं। बिजनौर, मुरादाबाद, बहाराइच, सीतापुर, गोंडा, बलरामपुर और लखीमपुर खीरी जैसे ज़िलों के गांवों में पानी भरने से किसान सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
किसानों का कहना है कि साल भर की मेहनत के बाद तैयार हुई फसलें कुछ ही दिनों में चौपट हो गईं। खेतों में खड़ी धान और गन्ने जैसी प्रमुख फसलें पानी में डूबकर नष्ट हो गई हैं। कई गांवों में तो घरों के अंदर तक पानी भर गया है जिससे पशुपालन और रोज़मर्रा का जीवन भी प्रभावित हो रहा है। इस आपदा ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से हिला कर रख दिया है।
भीम आर्मी चीफ और आज़ाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने किसानों की इस हालत पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि अब तक सरकार ने प्रभावित किसानों को मुआवज़ा देने की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की है। प्रशासन केवल सर्वे और रिपोर्ट तैयार करने के नाम पर समय बर्बाद कर रहा है जबकि किसान हर दिन भूख और कर्ज़ के बोझ तले दबते जा रहे हैं।
आजाद ने उत्तर प्रदेश सरकार से चार प्रमुख मांगें रखी हैं। पहली, बाढ़ प्रभावित किसानों का तुरंत सर्वे कर उन्हें मुआवज़ा दिया जाए। दूसरी, जिन किसानों की फसलें सौ प्रतिशत नष्ट हुई हैं उन्हें विशेष राहत पैकेज मिले। तीसरी, अगली फसल की बुआई के लिए बीज और खाद किसानों को मुफ्त उपलब्ध कराई जाए। चौथी, राहत वितरण में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
उन्होंने कहा कि किसानों की हालत लगातार बिगड़ रही है और उनके सामने रोज़गार और आजीविका का संकट गहराता जा रहा है। इस समय किसानों को केवल आश्वासन या कागज़ी सर्वे की नहीं बल्कि तुरंत न्याय और ठोस मदद की आवश्यकता है।
बाढ़ प्रभावित इलाकों से जो तस्वीरें और जानकारियां आ रही हैं, वे स्थिति की गंभीरता को दर्शाती हैं। हजारों किसान पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं और गांवों में भूख और बेबसी का माहौल दिखाई दे रहा है। ऐसे में राज्य सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रभावित किसानों तक जल्द से जल्द राहत पहुंचाना है।