उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों के मर्जर के विरोध में पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी जनता पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ लखनऊ में प्रदर्शन किया। उन्होंने राज्यपाल को पांच मांगों वाला ज्ञापन सौंपा और योगी सरकार पर गरीब, दलित और पिछड़े वर्गों के बच्चों की शिक्षा छीनने का आरोप लगाया। स्वामी मौर्य ने चेतावनी दी कि आदेश वापस नहीं लिया गया तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
योगी सरकार की मर्जर नीति पर भड़के स्वामी प्रसाद मौर्य, कहा- शिक्षा से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं
लखनऊ में जोरदार प्रदर्शन, पुलिस ने रोका कूच
उत्तर प्रदेश सरकार के 16 जून 2025 के आदेश के तहत 50 से कम नामांकन वाले 27,764 सरकारी स्कूलों को अन्य विद्यालयों में मर्ज करने के फैसले के विरोध में पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य सड़क पर उतर आए। लखनऊ में अपनी जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ विधानसभा की ओर मार्च करने के दौरान उन्हें पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया। इसके बाद वह वहीं सड़क पर धरने पर बैठ गए।
राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा, रखी गईं पांच प्रमुख मांगें
स्वामी मौर्य ने पांच बिंदुओं वाला ज्ञापन पुलिस अधिकारियों के माध्यम से राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को सौंपा। मांग की गई कि स्कूल मर्जर का आदेश तत्काल वापस लिया जाए, कक्षानुसार नई शिक्षक भर्ती हो, शिक्षकों से गैर-शैक्षणिक कार्य वापस लिए जाएं, स्कूलों को आधुनिक सुविधाओं से जोड़ा जाए, और सरकारी स्कूलों के निजीकरण की योजनाओं पर रोक लगे।
शिक्षा से वंचित होंगे गरीब और पिछड़े वर्ग के बच्चे
पूर्व मंत्री का कहना है कि यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 21A और अनुच्छेद 46 का उल्लंघन है, जिसमें हर बच्चे को मुफ्त और नजदीकी स्कूल में शिक्षा की गारंटी दी गई है। मर्जर के बाद कई बच्चों को 3-5 किलोमीटर दूर जाना होगा, जिससे स्कूल ड्रॉपआउट की दर खासकर बालिकाओं में बढ़ेगी।
शिक्षकों की भारी कमी, मिड डे मील पर संकट
उन्होंने बताया कि कई स्कूलों में केवल एक ही शिक्षक कार्यरत हैं, और प्रदेश में 6 लाख से अधिक शिक्षकों की कमी है। शिक्षकों पर 31 गैर-शैक्षणिक कार्य भी थोपे गए हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ता है और मिड डे मील योजना में भी रुकावट आ सकती है।
आंदोलन रहेगा जारी, सरकार पीछे नहीं हटी तो संघर्ष और तेज होगा
स्वामी प्रसाद मौर्य ने स्पष्ट किया कि अगर यह आदेश वापस नहीं लिया गया तो उनका आंदोलन रुकने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के अधिकार के साथ कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा और गरीब बच्चों का भविष्य अंधकार में नहीं जाने दिया जाएगा।