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मथुरा में दलित बारात पर हमला, अंबेडकर गीत बजाने पर दो पक्षों में खूनी संघ

मथुरा के जमुनापार क्षेत्र के गांव डेहरुआ में दलित युवक की बारात के दौरान अंबेडकर गीत बजाने को लेकर दो समुदायों में विवाद हो गया। मामला इतना बढ़ गया कि पत्थरबाजी और मारपीट शुरू हो गई।

मथुरा के जमुनापार क्षेत्र के गांव डेहरुआ में दलित युवक की बारात के दौरान अंबेडकर गीत बजाने को लेकर दो समुदायों में विवाद हो गया। मामला इतना बढ़ गया कि पत्थरबाजी और मारपीट शुरू हो गई। आरोप है कि ठाकुर समाज के कुछ लोगों ने अंबेडकर गीतों पर आपत्ति जताई। इस घटना में एक दर्जन से अधिक लोग घायल हुए हैं। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और स्थिति नियंत्रण में है।
मथुरा में दलित बारात पर हमला: डीजे पर अंबेडकर गीत बजते ही भड़का जातीय तनाव

1.गांव डेहरुआ में शादी की बारात बनी तनाव का कारण

मथुरा के थाना जमुनापार क्षेत्र के गांव डेहरुआ में एक दलित युवक की बारात के दौरान उस समय बवाल मच गया, जब डीजे पर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के सम्मान में गीत बजाए जा रहे थे। बारात बलदेव क्षेत्र के गांव धानोटी जा रही थी। जैसे ही अंबेडकर गीत बजने लगे, ठाकुर समाज के कुछ लोगों ने आपत्ति जताई और विवाद शुरू हो गया।

2. कहासुनी से शुरू होकर झड़प, पत्थरबाजी और फायरिंग तक मामला पहुंचा

दोनों पक्षों में कहासुनी इतनी बढ़ गई कि मारपीट और पत्थरबाजी शुरू हो गई। कुछ लोगों ने कथित तौर पर फायरिंग भी की। इस हिंसा में एक दर्जन से अधिक लोग घायल हुए हैं। बारात की परिक्रमा कर रहे दूल्हा राम और उसके भाई सौरव ने बताया कि कुछ लोगों ने उन्हें रोका और पथराव शुरू कर दिया। जब वजह पूछी गई तो गाली-गलौज के बाद हमला कर दिया गया।

3. पुलिस का बयान: जांच जारी, कोई लिखित शिकायत नहीं

थाना प्रभारी अजय किशोर ने बताया कि यह मामला डीजे की आवाज और गाने को लेकर शुरू हुआ विवाद है। फायरिंग की पुष्टि नहीं हुई है। मौके पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया है और शांति बहाल कर दी गई है। अभी तक कोई औपचारिक शिकायत नहीं मिली है, लेकिन जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।

4. सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया

इस घटना पर सामाजिक कार्यकर्ताओं और संगठनों की तीखी प्रतिक्रिया आई है। भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद ने इसे जातिवादी मानसिकता की उपज बताया है और कहा है कि बाबा साहेब का नाम और गीत कभी बंद नहीं होंगे।

इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि आज भी समाज में जातीय असमानता की जड़ें गहरी हैं। अंबेडकर के गीतों पर आपत्ति और हिंसा यह दिखाती है कि संविधान के मूल्यों की रक्षा के लिए सामाजिक जागरूकता और कानून का पालन आवश्यक है।

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