INDC Network : फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश : गंगा नदी का उफान: फर्रुखाबाद के कई गांव संकट में
गंगा नदी इन दिनों अपने उफान पर है और इसके जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि ने अमृतपुर क्षेत्र के सैदापुर, पट्टी भरका और पट्टी दारापुर गांवों को खतरे की कगार पर ला खड़ा किया है। ग्रामवासियों की मानें तो गंगा की धारा गांव की ओर तेजी से बढ़ रही है और अब महज 200 मीटर की दूरी पर पहुंच चुकी है।
कटान की भयावहता: खेतों की मिट्टी गंगा में समाई
स्थानीय निवासियों ने बताया कि गंगा के पानी ने करीब 200 मीटर तक की जमीन को पहले ही निगल लिया है, जिसमें खेती योग्य भूमि प्रमुख रूप से शामिल है। अब खेतों की मिट्टी तक गंगा में समा चुकी है, जिससे ग्रामीणों के पास आजीविका का कोई साधन शेष नहीं बचा है।
“हमने अपनी आंखों से एक मीटर जमीन का कटान होते देखा, और यह रोज का दृश्य बन गया है,” – एक ग्रामीण।
गांव से गंगा के बीच की दूरी अब केवल 200 मीटर रह गई है और अनुमान लगाया जा रहा है कि 4 से 5 दिनों में यह पानी गांव की सीमा में प्रवेश कर जाएगा।
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आश्रम बहा, पेड़ जड़ से उखड़े
गांव से लगभग 300 मीटर की दूरी पर स्थित “मणि का आश्रम”, जो कई वर्षों से धार्मिक गतिविधियों का केंद्र रहा है, अब गंगा के पानी में समा चुका है। बरगद और पीपल जैसे पुराने विशालकाय वृक्ष भी इस कटान में बह गए।

प्रशासन पर गंभीर आरोप: न नाव, न सहायता
ग्रामीणों का आरोप है कि लेखपाल ने इस बार बाढ़ राहत की नाव देने से साफ इनकार कर दिया है। लेखपाल के अनुसार, “नाव दी जाती है तो ग्रामीण उसे नुकसान पहुंचाते हैं।”
हालांकि ग्रामीणों ने इस आरोप का खंडन करते हुए कहा कि बाढ़ के समय नाव का संचालन कठिन होता है और दुर्घटना की आशंका रहती है। फिर भी, यह बात प्रशासन की असंवेदनशीलता को उजागर करती है।
ग्रामवासियों की मांग: बांध बने, सुनवाई हो
ग्रामीणों ने मांग की है कि गंगा के किनारे एक मजबूत ऊंची दीवार बनाई जाए जो बांध का कार्य करे। यह दीवार न केवल गांव को बाढ़ से बचा सकती है, बल्कि खेतों को भी सुरक्षित रखेगी।
“हमारे खेत चले गए, अब हमारे मकान भी जाएंगे। सरकार कुछ नहीं कर रही,” – ग्रामीण महिला।
बीते वर्ष का अनुभव: एक बार मिला राशन
गांव वालों ने 2024 की बाढ़ का भी जिक्र किया, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राहत कार्यक्रम के लिए जमापुर चौराहे पर सभा करने आए थे। वादा किया गया था कि बाढ़ प्रभावितों को राहत सामग्री दी जाएगी, लेकिन ग्रामीणों के अनुसार केवल एक बार राशन दिया गया, जो मुश्किल से चार दिन चला। और बाढ़ करीब 3 महीने तक रही थी।
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प्रशासनिक उपेक्षा: डीएम सिर्फ 3 मिनट रुके
पिछले वर्ष बाढ़ के समय जिलाधिकारी केवल कुछ मिनटों के लिए गांव आए और उसके बाद कभी नहीं लौटे। इस बार भी कोई अधिकारी अब तक गांव नहीं पहुंचा है, जिससे ग्रामवासियों में रोष है।

दर्जनों ग्रामीणों की गवाही
ग्राम वासियों की सूची –
वेदराम, बालकराम, दयाराम, आशाराम, पातीराम, संजीव, कहनई लाल, दीपू, सुरजीत, शेरसिंह, कुलदीप, राहुल, बृजेश, शिवम, टेशू, बाबूराम, धर्मपाल, जितेंद्र, अमित, गुड्डू, अमरसिंह, प्रदीप, विकास, सोनू, धर्मवीर, विवेक, प्रीती, गुड्डी, मंजू, मालती, मीना, गुड्डी आदि।

इन लोगों ने स्पष्ट कहा कि अगर जल्द कोई कदम नहीं उठाया गया, तो अगले कुछ दिनों में पूरा गांव डूब जाएगा।
एक और बर्बादी की दहलीज पर गांव
फर्रुखाबाद के ये गांव अब केवल गंगा की धारा पर निर्भर हैं। यदि सरकार, प्रशासन या आपदा प्रबंधन विभाग ने तत्काल कदम नहीं उठाए, तो दर्जनों घर, खेत और जीवन की मेहनत गंगा में समा जाएगी।
यह केवल एक बाढ़ की समस्या नहीं, बल्कि ग्रामीण जीवन की लगातार उपेक्षा की कहानी है। समय रहते चेत जाना जरूरी है, वरना अगली रिपोर्ट “गांव बह गया” की होगी।
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