INDC Network : देश-विदेश : भारतीय रुपया लगातार दबाव में है और शुक्रवार को यह डॉलर के मुकाबले 90.17 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। यह पहला मौका है जब भारतीय मुद्रा 90 के पार चली गई है। विपक्ष ने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर तीखा हमला बोला है, जबकि आम जनता बढ़ती महंगाई की मार को लेकर चिंतित है।
डॉलर क्यों हुआ इतना मजबूत?
आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिकी फेडरल रिज़र्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी के संकेत, वैश्विक अनिश्चितता, विदेशी निवेशकों का धन निकालना और कच्चे तेल की कीमतों में उतार–चढ़ाव रुपये पर भारी पड़े। इसके साथ ही चीन, जापान और यूरोप की अर्थव्यवस्थाओं की धीमी रफ्तार ने भी डॉलर को सुरक्षित निवेश विकल्प बना दिया है, जिससे डॉलर की मांग और बढ़ी।
विपक्ष का हमला: “अच्छे दिन डॉलर के आ रहे हैं, रुपये के नहीं”
रुपये की गिरावट पर विपक्ष ने सरकार पर तंज कसा। कांग्रेस नेताओं ने लिखा— “डॉलर उड़ रहा है, रुपया रो रहा है—यही है 10 साल की आर्थिक स्थिरता का परिणाम।” सोशल मीडिया पर भी लोग सरकार से सवाल पूछ रहे हैं कि 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का सपना दिखाने वाले देश में मुद्रा लगातार कमजोर क्यों हो रही है?
आम जनता पर सीधा असर: क्या–क्या होगा महंगा?
भारत एक बड़ा आयातक देश है, इसलिए रुपये की गिरावट सीधे महंगाई बढ़ाती है। नीचे इसकी विस्तृत सूची:
- पेट्रोल–डीजल और गैस: कच्चा तेल डॉलर में खरीदा जाता है। पेट्रोल, डीज़ल, एलपीजी और सीएनजी के दाम बढ़ सकते हैं। ट्रांसपोर्ट महंगा होने से बाकी चीजों पर भी असर पड़ेगा।
- मोबाइल, लैपटॉप और इलेक्ट्रॉनिक्स: हार्डवेयर पार्ट्स—चिप, कैमरा, बैटरी—विदेशों से आती हैं। स्मार्टफोन, टीवी, फ्रिज, AC सब महंगे हो सकते हैं।
- खाद्य पदार्थ: भारत पाम ऑयल, दालें और कुछ खाद्य उत्पाद बड़े स्तर पर आयात करता है। खाद्य तेल, दाल, पैक्ड स्नैक्स के दाम बढ़ेंगे।
- विदेश में पढ़ाई और यात्रा: विदेशी यूनिवर्सिटी फ़ीस, टिकट, रहने का खर्च डॉलर में। स्टूडेंट्स और टूरिस्ट्स दोनों पर बोझ बढ़ेगा।
- कार–बाइक और ऑटो पार्ट्स : ऑटो इंडस्ट्री की सप्लाई चेन आयात पर निर्भर। गाड़ियाँ और सर्विसिंग दोनों महंगी होंगी।
सरकार का जवाब: “वैश्विक हालात, भारत अब भी मजबूत”
वित्त मंत्रालय का कहना है कि रुपये की कमजोरी कोई भारत–विशिष्ट समस्या नहीं है।
• दुनिया के कई देशों की मुद्रा गिरी है।
• भारत की GDP ग्रोथ अब भी वैश्विक स्तर पर सबसे तेज है।
• विदेशी निवेश धीरे–धीरे वापस आने की उम्मीद है।
सरकार के अनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक बाज़ार में स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, वैश्विक ब्याज दरों और तेल की कीमतों पर निर्भर करेगा कि रुपये की दिशा कैसी रहेगी। कुछ अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि यदि परिस्थितियाँ नहीं सुधरीं, तो रुपया 92–93 तक भी जा सकता है।
रुपये की गिरावट सिर्फ बाज़ार नहीं, आपकी जेब की खबर भी है
डॉलर का मजबूत होना आम भारतीयों के लिए महंगाई का संकेत है। चाहे वह दाल हो या मोबाइल फोन, कार हो या गैस सिलेंडर—कई चीजें महंगी होने की संभावना है। इस बीच, राजनीतिक हलकों में आरोप–प्रत्यारोप भी तेज हैं और अब सबकी नजरें RBI और सरकार के कदमों पर टिकी हैं।



















