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असम में जनसांख्यिकीय घुसपैठ रोकने के लिए बड़े पैमाने पर बेदखली अभियान जारी: मुख्यमंत्री हिमंता

INDC Network : असम, भारत : गुवाहाटी – असम में मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के नेतृत्व में चल रहे व्यापक बेदखली अभियान के पीछे सरकार की सोच अब स्पष्ट रूप से सामने आ रही है। मुख्यमंत्री ने इस अभियान को ‘जनसांख्यिकीय घुसपैठ’ (Demographic Invasion) के खिलाफ लड़ाई करार देते हुए कहा कि अब तक 160 वर्ग किलोमीटर भूमि से लगभग 50,000 लोगों को हटाया गया है।

उन्होंने दावा किया कि यह प्रयास राज्य की स्थानीय असमिया और जनजातीय पहचान की रक्षा के लिए ज़रूरी है, विशेष रूप से ऊपरी असम जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में, जहाँ हाल के वर्षों में प्रवासी बस्तियों में वृद्धि देखी गई है।

बेदखली का भौगोलिक विस्तार:

सरमा के अनुसार, 2021 में उनके कार्यकाल की शुरुआत के बाद से अब तक 1.19 लाख बीघा भूमि खाली कराई जा चुकी है:

  • 84,743 बीघा वन भूमि
  • 36,000 बीघा चरागाह भूमि (VGR/PGR)
  • 26,713 बीघा सरकारी राजस्व भूमि
  • 4,449 बीघा धार्मिक संस्थानों की भूमि

जनसांख्यिकीय चेतावनी:

मुख्यमंत्री ने कहा कि निचले और मध्य असम में पहले जो जनसांख्यिकीय बदलाव हुआ, उसे समय पर नहीं रोका जा सका, जिससे आज स्थिति “अपरिवर्तनीय” हो गई है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि ऊपरी असम में यही गलती दोहराई गई, तो आने वाले 20 वर्षों में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 40,000-45,000 बाहरी मतदाता होंगे, जो क्षेत्र की राजनीतिक और सांस्कृतिक पहचान को बदल देंगे।

लखीमपुर मामला और वोटर लिस्ट से नाम हटाने की योजना:

सरमा ने जुलाई महीने में लखीमपुर जिले में हुए एक बेदखली अभियान का हवाला दिया, जिसमें 220 परिवारों को हटाया गया। इनमें से 64 परिवार बारपेटा, 36 नागांव, और शेष लोग गोलपाड़ा, कछार और दक्षिण सालमारा-मनकाचर जिलों से आए प्रवासी पाए गए।

सरमा ने कहा, “ये लोग बंगाल जैसे नज़दीकी और समृद्ध क्षेत्रों में नहीं जा रहे, बल्कि 400 किलोमीटर दूर लखीमपुर जैसे इलाकों में बस रहे हैं, जहाँ जनसंख्या संतुलन को बिगाड़ने की साजिश हो रही है।”

उन्होंने यह भी घोषणा की कि बेदखल किए गए लोगों के स्थानीय मतदाता सूची से नाम हटाने का निर्देश सभी जिलाधिकारियों (DCs) को दिया गया है। हालांकि, यदि वे भारतीय नागरिक हैं, तो उन्हें राज्य की किसी अन्य सूची में बरकरार रखा जाएगा।

‘लैंड जिहाद’ और सांस्कृतिक सुरक्षा:

सरमा ने अपने भाषण में ‘लैंड जिहाद’ शब्द का प्रयोग करते हुए दावा किया कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में संगठित प्रयासों से जमीन पर कब्जा कर जनसंख्या ढांचे को बदला जा रहा है। उन्होंने स्थानीय असमिया लोगों से इस प्रयास का विरोध करने की अपील की।


असम में चल रही बेदखली की कार्रवाई केवल भूमि विवाद नहीं है, बल्कि यह राज्य की सांस्कृतिक और जनसांख्यिकीय पहचान की रक्षा के रूप में सामने आई है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के नेतृत्व में यह अभियान आने वाले वर्षों में राज्य की राजनीति और सामाजिक तानेबाने को गहराई से प्रभावित कर सकता है।

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