INDC Network : रायबरेली, उत्तर प्रदेश : जौनपुर के सांसद बाबू सिंह कुशवाहा ने रायबरेली की ऊंचाहार विधानसभा में जन अधिकार पार्टी की रैली की। इस दौरान उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य और उनके परिवार पर निशाना साधा। जवाब में स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे अशोक मौर्य ने फेसबुक पर तीखा पलटवार किया और बाबू सिंह कुशवाहा को मर्यादा में रहने की नसीहत दी।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया विवाद उस समय सामने आया जब जौनपुर लोकसभा सीट से सांसद और जन अधिकार पार्टी के संस्थापक बाबू सिंह कुशवाहा ने रायबरेली जिले की 183-ऊंचाहार विधानसभा में आयोजित एक जनसभा को संबोधित किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य शहीद बाबू जगदेव प्रसाद कुशवाहा की शहादत दिवस पर उनके योगदान को याद करना था। लेकिन सभा के दौरान बाबू सिंह कुशवाहा का फोकस अचानक बदल गया और उन्होंने अपनी ही राजनीतिक शैली के विपरीत, दूसरे नेताओं पर व्यक्तिगत हमले करना शुरू कर दिया।
अपने भाषण में उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य, उनकी पार्टी अपनी जनता पार्टी, उनके बेटे अशोक मौर्य और बेटी संघमित्रा मौर्य को निशाने पर लिया। कुशवाहा के भाषण में की गई टिप्पणियों ने माहौल को और भी विवादित बना दिया।
इसका कड़ा जवाब देते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे और पूर्व प्रत्याशी अशोक मौर्य ने फेसबुक पर लंबा पोस्ट लिखा। उन्होंने लिखा कि वह हमेशा से बाबू सिंह कुशवाहा का सम्मान करते आए हैं और आज भी उन्हें ‘चाचा जी’ कहकर संबोधित करते हैं। लेकिन सभा में जिस तरह से अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया गया, वह दुर्भाग्यपूर्ण है।
अशोक मौर्य ने अपनी पोस्ट में स्पष्ट कहा कि बाबू सिंह कुशवाहा ने उन्हें और उनके परिवार को गलत तरीके से निशाना बनाया। उन्होंने आरोप लगाया कि कुशवाहा वर्तमान विधायक के खिलाफ कुछ नहीं बोले और ऐसा लगा मानो वह किसी एजेंडे के तहत सभा में आए हों।
बाबू सिंह कुशवाहा ने स्वामी प्रसाद मौर्य एवं उनके परिवार पर लगाया था आरोप, आप वीडियो में सुन सकते हैं –
उन्होंने यह भी लिखा कि, “आपके भाषण से यह प्रतीत हो रहा था मानो आप नशे में हों। समाज का नेतृत्व करने के बजाय आपने झूठे आरोपों का सहारा लिया।” अशोक मौर्य ने कुशवाहा को सलाह देते हुए कहा कि वह मर्यादा में रहें और भविष्य में ऐसी अमर्यादित भाषा से बचें।
सबसे तीखे आरोप में अशोक ने यह भी कहा कि बाबू सिंह कुशवाहा सांसद अपनी पार्टी से नहीं, बल्कि समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव की कृपा से बने हैं। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि “अपनी हद और क्षमता को पहचानिए”।
यह पूरा विवाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नए सियासी टकराव का संकेत दे रहा है। रायबरेली की ऊंचाहार विधानसभा का यह मंच न केवल शहीद बाबू जगदेव प्रसाद को याद करने का अवसर था बल्कि अब यह राजनीतिक घमासान का केंद्र बन गया है।