INDC Network : जीवन परिचय : महादीपक सिंह शाक्य : भारतीय राजनीति में कुछ नाम ऐसे होते हैं जो सत्ता की चकाचौंध से दूर रहकर भी जनता के दिलों में अमिट छाप छोड़ते हैं। ऐसे ही एक व्यक्तित्व थे महादीपक सिंह शाक्य, जिन्हें प्यार से लोग “बाबूजी” कहकर बुलाते थे। उनका जीवन देशसेवा, ईमानदारी और संघर्ष का प्रतीक रहा। वे उत्तर प्रदेश के एटा,संसदीय क्षेत्र से छह बार लोकसभा सांसद रहे और उन्होंने भारतीय जनसंघ से लेकर भाजपा तक के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भारतीय राजनीति में कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं जो सादगी, सेवा, और सिद्धांतों के प्रतीक बन जाते हैं। वे किसी राजनीतिक विचारधारा के प्रचारक भर नहीं होते, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणा बन जाते हैं। ऐसे ही एक अद्वितीय व्यक्तित्व थे डॉ. महादीपक सिंह शाक्य, जो भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के एटा लोकसभा क्षेत्र से छह बार लोकसभा सांसद रहे। उनकी राजनीतिक यात्रा, सामाजिक योगदान, और निजी जीवन एक आदर्श लोकसेवक की तस्वीर पेश करता है।
डॉ. महादीपक सिंह शाक्य का जन्म 25 जुलाई 1922 को उत्तर प्रदेश के जनपद एटा के गांव अगौंनापुर में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री जोधा सिंह शाक्य था, जो एक साधारण किसान परिवार से थे। ग्रामीण परिवेश में जन्मे महादीपक सिंह शाक्य का बचपन परिश्रम, अनुशासन और सांस्कृतिक मूल्यों से ओतप्रोत था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा के बाद जवाहरलाल डिग्री कॉलेज, एटा से हिंदी में एम.ए. की डिग्री प्राप्त की और इसके साथ-साथ दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद विद्यापीठ से ‘आयुर्वेद रत्न’ की उपाधि भी प्राप्त की। इस प्रकार वे न केवल एक शिक्षित व्यक्ति बने, बल्कि एक आयुर्वेद चिकित्सक, कृषक, समाजसेवी और राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे।

छह बार लोकसभा सदस्य
महादीपक सिंह शाक्य ने 6 बार लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया, जिसमें उन्होंने भारतीय जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के टिकट पर जनता का विश्वास प्राप्त किया।
क्रम | वर्ष | पार्टी | सीट | परिणाम |
---|---|---|---|---|
1 | 1971 | भारतीय जनसंघ | एटा, उत्तर प्रदेश | विजयी |
2 | 1977 | जनता पार्टी | एटा, उत्तर प्रदेश | विजयी |
3 | 1989 | भाजपा | एटा, उत्तर प्रदेश | विजयी |
4 | 1991 | भाजपा | एटा, उत्तर प्रदेश | विजयी |
5 | 1996 | भाजपा | एटा, उत्तर प्रदेश | विजयी |
6 | 1998 | भाजपा | एटा, उत्तर प्रदेश | विजयी |
उन्होंने 1971, 1977, 1989, 1991, 1996 और 1998 में जीत दर्ज की। संसद में उनकी उपस्थिति हमेशा रचनात्मक रही और उन्होंने किसानों, गरीबों, ग्रामीण विकास और सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाया।
डॉ. शाक्य ने 7 जनवरी 1942 को विद्या देवी शाक्य से विवाह किया। उनके परिवार में तीन पुत्र और एक पुत्री हैं। पारिवारिक जीवन के साथ-साथ उन्होंने हमेशा सामाजिक जिम्मेदारियों को प्राथमिकता दी। वे ग्रामीण भारत की समस्याओं से भली-भांति परिचित थे और उनका जीवन किसानों, मजदूरों और वंचित वर्गों के उत्थान हेतु समर्पित रहा।
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उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत 1971 में हुई जब वे पहली बार पांचवीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। इस चुनाव में उन्होंने एटा संसदीय क्षेत्र से विजय प्राप्त की और भारतीय संसद में कदम रखा। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्हें 1977, 1989, 1991, 1996 और 1998 में पुनः लोकसभा का सदस्य चुना गया। इस प्रकार वे 6 बार लोकसभा सांसद रहे और संसद में अनेक महत्वपूर्ण समितियों का हिस्सा बने।

उनकी सक्रियता और प्रभावशीलता का प्रमाण इस बात से भी मिलता है कि वे सार्वजनिक स्वास्थ्य समिति, रेल सलाहकार समिति, आकलन समिति, और संयुक्त समिति (कस्टम टैरिफ बिल) जैसे महत्वपूर्ण निकायों में सदस्य रहे। इसके अतिरिक्त, उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय की खेल, महिला और बाल कल्याण समिति, नागरिक उड्डयन मंत्रालय की सलाहकार समिति, और सरकारी आश्वासन समिति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
1983-84 में वे भारतीय जनता पार्टी, एटा जिला इकाई के अध्यक्ष भी रहे। यह वह समय था जब भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर खुद को स्थापित करने की दिशा में प्रयासरत थी, और ऐसे समय में डॉ. शाक्य जैसे नेता पार्टी की रीढ़ साबित हुए। उन्होंने संगठनात्मक कार्यों में अपनी दक्षता और नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया, जिससे पार्टी को ज़मीनी स्तर पर मज़बूती मिली।
डॉ. महादीपक सिंह शाक्य न केवल एक राजनेता थे, बल्कि एक संवेदनशील साहित्यप्रेमी, कवि और खिलाड़ी भी थे। उन्हें साहित्य, खेल और काव्य लेखन में विशेष रुचि थी। उनकी यह बहुआयामी पहचान उन्हें आम जनमानस से जोड़ती थी। फुटबॉल, वॉलीबॉल और कुश्ती जैसे खेलों में उनकी गहरी रुचि रही और वे युवाओं को खेलकूद के प्रति प्रेरित करते थे।
उन्होंने भारत से बाहर भी यात्राएं कीं, जिनमें दुबई, मलाया, संयुक्त अरब अमीरात और यूनाइटेड किंगडम जैसे देश शामिल हैं। इन यात्राओं ने उनके दृष्टिकोण को और व्यापक बनाया और अंतरराष्ट्रीय राजनीति एवं संस्कृति की बेहतर समझ प्रदान की।
उनका स्थायी पता गांव अगौंनापुर, जिला एटा (उत्तर प्रदेश) रहा, और वे जीवन भर अपने गांव से जुड़े रहे। संसद में बैठते समय भी उनका मन गांव और खेतों की बातों में ही लगा रहता था। वे हमेशा यह मानते थे कि जब तक गांव मजबूत नहीं होंगे, देश प्रगति नहीं कर सकता।
उनकी छवि एक सच्चे जनप्रतिनिधि की थी, जो न केवल चुनावों में जनता के बीच जाता था, बल्कि चुनाव के बाद भी आम लोगों से सीधे संपर्क में रहता था। वे अपने संसदीय क्षेत्र के विकास कार्यों में सक्रिय रहते थे और जनता की समस्याओं को संसद में पुरजोर तरीके से उठाते थे।
1996 में हुए लोकसभा चुनाव में एटा सीट से उन्होंने शानदार जीत हासिल की। उस चुनाव में कुल 11,23,677 मतदाता थे, जिसमें 5,18,933 वोट पड़े। डॉ. शाक्य को 1,90,855 मत मिले और उन्होंने समाजवादी पार्टी के श्री रमेश यादव (1,45,152 मत) को हराया। इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के कैलाश यादव को 91,925 मत और कांग्रेस के गिरीश चंद्र मिश्र को 24,940 मत प्राप्त हुए। यह चुनाव उनके राजनीतिक जीवन की एक और बड़ी उपलब्धि साबित हुआ।
उनका जीवन पूरी तरह सादगी और अनुशासन से भरा था। वे किसी प्रकार के दिखावे, सुरक्षा घेरे या राजनीतिक घमंड से दूर रहते थे। भाजपा के शुरुआती संघर्षशील दौर में उन्होंने पार्टी की नींव मजबूत करने का काम किया। वे सिद्धांतवादी राजनीति के समर्थक थे और आज के नेताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
10 नवम्बर 2020 को उनका निधन हो गया। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, तथा कई राष्ट्रीय नेताओं ने गहरा शोक व्यक्त किया। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें भारतीय राजनीति का एक ऐसा स्तंभ बताया, जिन्होंने अपना पूरा जीवन जनसेवा और राष्ट्रनिर्माण के लिए समर्पित कर दिया।
डॉ. महादीपक सिंह शाक्य का जीवन आज भी राजनीति में सेवा, सच्चाई और समाजहित की मिसाल के रूप में याद किया जाता है। वे उन दुर्लभ नेताओं में से थे जिन्होंने सत्ता को सेवा का माध्यम माना, न कि साधन। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि एक सांसद का असली दायित्व केवल कानून बनाना नहीं, बल्कि समाज के हर तबके की आवाज बनना भी होता है।
आज जब राजनीति में मूल्यों का ह्रास देखा जा रहा है, तब डॉ. शाक्य जैसे नेताओं की जीवनी युवाओं को प्रेरणा देती है। उनके जीवन से हमें यह सिखने को मिलता है कि अगर ईमानदारी, समर्पण और परिश्रम को जीवन का आधार बना लिया जाए, तो समाज और देश दोनों की सेवा की जा सकती है।
उनकी यादें, उनके विचार, और उनका योगदान राजनीति ही नहीं, बल्कि समाज के हर क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ते हैं। डॉ. महादीपक सिंह शाक्य एक ऐसे युगपुरुष थे जिनकी उपस्थिति सदियों तक प्रेरणा देती रहेगी।