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किसान महापंचायत में राकेश टिकैत की हुंकार: बाढ़ मुआवजा, एक्सप्रेसवे मुआवजा और बांध निर्माण की मांग

INDC Network : फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश : फर्रुखाबाद के हथियापुर में आयोजित किसान महापंचायत में राकेश टिकैत और किसान नेताओं ने बाढ़ से हुई फसल बर्बादी का मुआवजा, गंगा लिंक एक्सप्रेसवे भूमि अधिग्रहण में उचित दरें, गंगा और रामगंगा किनारे बांध निर्माण, खाद संकट समाधान और छुट्टा गौवंश से निजात सहित आठ प्रमुख मांगें रखीं। महापंचायत में हजारों किसान जुटे और प्रशासन को चेताया गया कि यदि समस्याओं का समाधान जल्द नहीं हुआ तो आंदोलन और व्यापक होगा।

फर्रुखाबाद जिले के हथियापुर गांव में भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की अगुवाई में विशाल किसान महापंचायत का आयोजन हुआ। हजारों किसानों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए सरकार और प्रशासन से आठ प्रमुख मांगें उठाईं। इनमें गंगा लिंक एक्सप्रेसवे का मुआवजा बढ़ाना, गंगा-रामगंगा किनारे बांध निर्माण, खाद संकट दूर करना, आलू किसानों की समस्या हल करना और छुट्टा गौवंश से राहत देना प्रमुख रहे।

जनपद के हथियापुर में सोमवार को आयोजित विशाल किसान महापंचायत ने एक बार फिर से किसानों की समस्याओं को केंद्र में ला खड़ा किया। भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की अगुवाई में हुई इस पंचायत में हजारों किसान दूर-दराज के गांवों से आकर शामिल हुए। महापंचायत में किसानों ने अपने जीवन और आजीविका से जुड़े कई अहम मुद्दे उठाए और सरकार को चेताया कि यदि जल्द ही समाधान नहीं हुआ तो आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा।

मंच पर उपस्थित किसान नेता
मंच पर उपस्थित किसान नेता
हथियापुर में किसान पंचायत में मौजूद किसान
हथियापुर में किसान पंचायत में मौजूद किसान
हथियापुर में किसान पंचायत में मौजूद महिलाएं
हथियापुर में किसान पंचायत में मौजूद महिलाएं

महापंचायत का माहौल

कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष अजय कटियार ने की, जबकि राष्ट्रीय महासचिव राजवीर सिंह जादौन, मंडल अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह, प्रदेश अध्यक्ष राजपाल शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष अरविन्द शाक्य, प्रदेश उपाध्यक्ष सलीम सिद्दीकी और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी मंच पर मौजूद रहे। पंचायत स्थल पर सुबह से ही किसानों की भीड़ जुटने लगी थी। गांव-गांव से ट्रैक्टरों और बसों में किसान पहुंचे। माहौल में उत्साह और आक्रोश दोनों ही साफ झलक रहे थे।

राकेश टिकैत ने अपने भाषण में कहा, “किसान इस देश की रीढ़ है, लेकिन हर सरकार किसानों को सिर्फ वोट बैंक मानकर भूल जाती है। हमारी मांगें साफ हैं—बाढ़ से हुए नुकसान का मुआवजा, जमीन अधिग्रहण में न्याय और किसानों की सुरक्षा।” राकेश टिकैत ने अपने भाषण में नशे से दूर रहने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा : “नशे से घर बर्बाद हो जाते है जो रुपए नशा करने में लोग लगते हैं उस रूपये से फल खरीद कर खाने चाहिए


प्रमुख मुद्दे और मांगें – गंगा लिंक एक्सप्रेसवे मुआवजे में असमानता

किसानों का सबसे बड़ा गुस्सा गंगा लिंक एक्सप्रेसवे को लेकर था। उन्होंने आरोप लगाया कि भूमि अधिग्रहण में भयंकर असमानता है। हाथीपुर गांव का सर्किल रेट ₹1.30 करोड़ प्रति हेक्टेयर है। वहीं पास के आदिउली गांव का रेट मात्र ₹21 लाख प्रति हेक्टेयर तय किया गया है।

एक ही क्षेत्र में इतनी असमानता किसानों के साथ अन्याय है। किसानों ने मांग की कि सभी गांवों के लिए रेट समान और उचित होने चाहिए। इसके अलावा एक्सप्रेसवे पर तीन स्थानों पर अतिरिक्त भूमि कटाई का विरोध करते हुए किसानों ने कहा कि सड़कें आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे की तरह 120 मीटर चौड़ाई में ही बनाई जाएं।


गंगा और रामगंगा पर बांध निर्माण की मांग

हर साल आने वाली बाढ़ किसानों की सबसे बड़ी समस्या है। हजारों बीघा फसल जलमग्न हो जाती है और महीनों तक किसान अपनी जमीन पर बुवाई नहीं कर पाते। किसानों ने मांग रखी कि— गंगा नदी पर धीमर नगला से ढाईघाट और श्रृंगीरामपुर तक बांध बने। रामगंगा किनारे अमृतपुर तहसील के गुडेरा से भावन तक बांध का निर्माण हो। राकेश टिकैत ने कहा कि “जब तक पक्के बांध नहीं बनते, तब तक किसानों की बर्बादी जारी रहेगी।


मोहम्मदाबाद ब्लॉक की बराकेशव ग्रामसभा में किसानों ने वोटिंग के आधार पर चकबंदी को निरस्त करने और 6(1) जारी करने की मांग रखी। किसानों ने कहा कि बाढ़ के कारण उनकी जमीनें लंबे समय तक जलमग्न रहती हैं। बुवाई संभव नहीं है और कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। इसलिए— बाढ़ प्रभावित किसानों का लोन माफ किया जाए। बिजली बिलों को तत्काल रद्द किया जाए। महापंचायत में किसानों ने खाद संकट का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने बताया कि: खाद की भारी कमी है। किसान लंबी लाइनों में लगने के बाद भी खाद से वंचित हैं। सरकार से मांग की गई कि हर किसान को समय से पर्याप्त खाद मिले।


किसानों ने शहर की महायोजना 2031 को त्रुटिपूर्ण बताया। सेंट्रल जेल चौराहे से बकुतगंज तक 120 मीटर रोड और 60 मीटर हरित पट्टी का प्रस्ताव अव्यवहारिक है। कादरी गेट से पंचालघाट और द्विलावल चौराहे से जसमई चौराहे तक प्रस्तावित सड़कें भी अव्यावहारिक हैं। किसानों ने योजना में व्यापक सुधार की मांग की। फर्रुखाबाद आलू उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन किसान संकट में हैं। कोल्ड स्टोरेज में आलू भरा पड़ा है। बाजार में उचित भाव नहीं मिल रहा।

किसानों ने मांग की कि सरकार आलू निर्यात की तत्काल अनुमति दे, ताकि किसान आत्महत्या जैसी नौबत से बच सकें। किसानों ने कहा कि छुट्टा पशु फसलें चौपट कर रहे हैं। किसान रातभर खेतों की रखवाली करते हैं। कई बार गौवंश हमला भी कर देते हैं। मांग की गई कि सभी गौवंशों को गोशालाओं में भेजा जाए।


राकेश टिकैत और अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया

राकेश टिकैत ने कहा: “जब गिट्टी बाजार भाव से खरीदी जाती है, तो किसान की जमीन सस्ती क्यों ली जाती है? यह अन्याय है। सरकार किसानों को मजबूर कर रही है। हम सरकार को हराने या जिताने नहीं आए हैं, हम नियम सिखाने आए हैं। जब तक किसान की समस्याओं का हल नहीं होता, हमारी लड़ाई जारी रहेगी।” उन्होंने बिजली दरों और जीएसटी पर भी सवाल उठाए।

राजवीर सिंह जादौन, राष्ट्रीय महासचिव ने गंगा पर बांध निर्माण न होने को लेकर सरकार और पूर्ववर्ती सरकारों पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि— “नेता सत्ता में होते हैं तो अलग भाषा बोलते हैं और सत्ता से बाहर होते हैं तो अलग। किसान अब इनके छलावे में नहीं आएंगे।

उन्होंने किसानों को बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देने और महिलाओं को घर में भी शिक्षा और तरक्की के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा दी। सभी नेताओं ने स्पष्ट कहा कि यदि मांगों का समाधान शीघ्र नहीं किया गया तो किसान आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा।

फर्रुखाबाद की किसान महापंचायत ने साफ कर दिया कि किसानों का धैर्य अब जवाब दे रहा है। चाहे वह बाढ़ से सुरक्षा की मांग हो, उचित मुआवजे की, खाद की उपलब्धता की या छुट्टा गौवंश से राहत की—ये सभी मुद्दे सीधे किसान की जीविका से जुड़े हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन और सरकार किसानों की जायज मांगों पर कितनी जल्दी और गंभीरता से कार्रवाई करती है।

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