INDC Network : फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जनपद के अमृतपुर विधानसभा क्षेत्र में बाढ़ का संकट गहराता जा रहा है। सैकड़ों गांवों में लोग खाने-पीने और रहने की मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। इस बीच स्थानीय विधायक सुशील शाक्य प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचे और ग्रामीणों को आटा, चावल, दाल, बोरियां, बाल्टियां और अन्य आवश्यक वस्तुएं वितरित कीं। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार और प्रशासन हर संभव मदद के लिए तैयार हैं।
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जनपद के अमृतपुर विधानसभा क्षेत्र में गंगा की बाढ़ ने भीषण संकट खड़ा कर दिया है। करीब 200 से अधिक गांवों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है। ग्रामीणों के सामने सबसे बड़ी चुनौती भोजन और रहने की है। इस स्थिति को देखते हुए अमृतपुर के विधायक सुशील शाक्य शनिवार को बाढ़ प्रभावित गांवों—कटरी तौफीक, गाड़िया हैबतपुर, अचानकपुर और अजीजाबाद—का दौरा करने पहुंचे।
विधायक ने यहां सैकड़ों ग्रामीणों से मुलाकात की और उनके हालात का जायजा लिया। उन्होंने राहत सामग्री के रूप में आटा, चावल, दाल, बाल्टियां और बोरियां वितरित कीं। इन राहत सामग्रियों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर लगी थी, जिस पर स्पष्ट रूप से “बाढ़ राहत सामग्री” अंकित था। इससे प्रभावित ग्रामीणों को तत्कालिक राहत मिली।
ग्रामीणों ने विधायक से अपनी समस्याएं साझा करते हुए बताया कि बाढ़ की वजह से खेत बर्बाद हो चुके हैं और घरों में पानी भर गया है। न तो सही से भोजन मिल पा रहा है और न ही सुरक्षित ठिकाना। इस पर विधायक सुशील शाक्य ने कहा कि “सरकार हर संकट की घड़ी में जनता के साथ खड़ी है और हर संभव मदद दी जाएगी।”
उन्होंने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर भी लिखा: “आज बाढ़ प्रभावित क्षेत्र ग्राम कटरी तौफीक, गाड़िया हैवतपुर, अचानकपुर एवं अजीजाबाद में पहुंचकर राहत सामग्री वितरित की तथा ग्रामीणों से हालचाल जाना। इस कठिन समय में सरकार हर संभव मदद देने के लिए कृतसंकल्पित है।”
स्थानीय लोगों का कहना है कि राहत सामग्री मिलने से उन्हें कुछ दिनों के लिए भोजन और जीवन-यापन की चिंता से राहत मिली है। वहीं, प्रशासन ने भी वादा किया है कि आगे और ज्यादा सहायता भेजी जाएगी ताकि सभी प्रभावित परिवारों तक मदद पहुंच सके।
गौरतलब है कि फर्रुखाबाद जनपद में गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे निचले इलाकों के गांवों में पानी घुस चुका है। कई घर जलमग्न हो गए हैं और ग्रामीण ऊंचे स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हैं। ऐसे में राहत सामग्री का वितरण उनके लिए जीवन रेखा साबित हो रहा है।