INDC Network : पेरिस, फ़्रांस : फ्रांस में प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू की सरकार के गिरने के बाद शुरू हुए ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ आंदोलन ने पूरे देश को हिला दिया है। प्रदर्शनकारियों ने सड़कों, रेलमार्ग और हाईवे को जाम करने की कोशिश की। पुलिस ने कड़े एक्शन में 200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है।
फ्रांस इस समय बड़े राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू (François Bayrou) की सरकार के ध्वस्त होने के बाद शुरू हुए ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ (Block Everything) आंदोलन ने देश में उथल-पुथल मचा दी है। बुधवार को हजारों प्रदर्शनकारी राजधानी पेरिस (Paris) और अन्य शहरों की सड़कों पर उतर आए। उन्होंने जगह-जगह आगजनी, रोड ब्लॉकेज और परिवहन ठप करने की कोशिश की।
पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लेने के लिए 80,000 पुलिसकर्मियों और जेंडार्म्स को तैनात किया। पेरिस क्षेत्र में ही 95 गिरफ्तारियां हुईं, जबकि देश के अन्य हिस्सों में भी प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई हुई। कुल मिलाकर लगभग 200 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया।
पेरिस के पोर्ट दे मॉन्त्रुइल (Porte de Montreuil) इलाके में प्रदर्शनकारियों ने कूड़ेदान जलाए और ट्राम ट्रैक अवरुद्ध करने की कोशिश की। वहीं, गारे दू नॉर्द (Gare du Nord) रेलवे स्टेशन पर हजारों लोग इकट्ठा हो गए और “मैकрон इस्तीफा दो” (Macron Démission) के नारे लगाए। स्थिति बिगड़ने पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और स्टेशन का प्रवेश द्वार बंद कर दिया।
प्रदर्शन में शामिल एक छात्रा और अभिनेत्री मारी (Marie) ने बताया – “हम सब परेशान हो चुके हैं। अब वक्त आ गया है कि मैक्रों जनता की आवाज सुने। सरकार की नीतियां संस्कृति और आम लोगों के जीवन को प्रभावित कर रही हैं।”
वहीं, एक ड्राइवर ने प्रदर्शनकारियों का समर्थन करते हुए कहा कि भले ही सड़कें जाम हुई हों, लेकिन जनता का गुस्सा जायज है। दूसरी ओर, कुछ नागरिकों ने हिंसा और तोड़फोड़ पर नाराज़गी जताई। नेसरीन (Nesrine) नाम की प्रोजेक्ट मैनेजर ने कहा – “प्रदर्शन का हक सबको है, लेकिन नुकसान आखिरकार टैक्सपेयर को ही उठाना पड़ता है।”
‘ब्लॉक एवरीथिंग’ आंदोलन की खासियत यह है कि यह पूरी तरह लीडरलेस (Leaderless Movement) है। इसे सोशल मीडिया और टेलीग्राम चैनलों के जरिए संगठित किया गया है। 2018 के ‘येलो वेस्ट्स’ (Yellow Vests) आंदोलन की तरह इसमें भी आम जनता की भागीदारी दिख रही है।
एक Ipsos सर्वे के अनुसार, लगभग 46% फ्रांसीसी जनता इस आंदोलन का समर्थन कर रही है। इसमें वामपंथी तो शामिल हैं ही, साथ ही दक्षिणपंथी नेशनल रैली (National Rally) के आधे से ज्यादा समर्थक भी इससे जुड़े हैं।
फ्रांस की दो बड़ी यूनियनें CGT और SUD भी इस आंदोलन के साथ आ गई हैं। रेलवे यूनियन के नेता एरिक चालाल (Eric Challal) ने कहा – “हम महीनों से गुस्सा दबाए बैठे थे। हमें ज्यादा काम करने के लिए कहा जा रहा है, लेकिन जीवन स्तर लगातार गिर रहा है।”
अगले हफ्ते स्वास्थ्यकर्मी और फार्मेसी कर्मचारी भी सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। यूनियनों ने चेतावनी दी है कि अगर हालात नहीं बदले तो 20,000 फार्मेसियों में से 6,000 बंद हो सकती हैं।
बायरू सरकार ने बजट घाटा कम करने के लिए दो सार्वजनिक छुट्टियां (Bank Holidays) खत्म करने और अन्य कठोर कदम उठाने का प्रस्ताव रखा था। इससे लोगों में गुस्सा और भड़क गया। अब कई प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) से संसद भंग कर जल्द चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं।
फ्रांस में ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ आंदोलन केवल आर्थिक असंतोष नहीं, बल्कि राजनीतिक अस्थिरता की गहरी तस्वीर पेश करता है। आने वाले हफ्ते तय करेंगे कि यह आंदोलन येलो वेस्ट्स की तरह लंबा चलेगा या सरकार इसे समय रहते काबू कर पाएगी।
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