INDC Network : कासगंज, उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में गंगा नदी के उफान ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में हुई लगातार बारिश के कारण हरिद्वार के भीमगोड़ा बैराज, बिजनौर के मध्यगंगा बैराज और नरौरा के चौधरी चरण सिंह बैराज से लगातार हाईफ्लड लेवल का पानी छोड़ा जा रहा है। नतीजतन, कासगंज में गंगा का जलस्तर मंगलवार शाम तक खतरनाक स्तर को पार कर गया।
40 से अधिक गांवों में जलभराव
सदर तहसील के सोरोंजी इलाके से लेकर पटियाली और सहावर तक बाढ़ का पानी फैल गया है। नीबिया और पनसोती के पूर्वी हिस्से का कच्चा मनरेगा बांध सोमवार रात गंगा की तेज धारा से कट गया, जिससे 40 से अधिक गांवों में पानी भर गया। इन गांवों में मूंजखेड़ा, नगला हंसी, नगला जयकिशन, राजेपुर कुर्रा, नगला तरसी, नेथरा, इंद्राजसनपुर, मेहोला, नवाबगंज नगरिया, टिकुरी गठौरा, कुसौल, जिझोल, पनसोती, अलीपुर भकुरी, रिकहरा, गठैरा, निरदौली पुख्ता आदि शामिल हैं।
ग्रामीणों का पलायन और घरों पर ताले
लहरा और उसके आसपास के गांवों में हालात सबसे ज्यादा बिगड़े हुए हैं। यहां कई परिवार अपने घरों पर ताले लगाकर सुरक्षित स्थानों की ओर चले गए हैं। जिनके पास कहीं जाने की जगह नहीं है, वे ऊंचाई वाले स्थानों या सड़कों के किनारे डेरा जमाए हुए हैं। कई किसानों के घरों के सामने खड़े कृषि यंत्र पानी में डूब गए हैं, और पशुओं को खुले में छोड़ दिया गया है।
सड़कें और संपर्क मार्ग क्षतिग्रस्त
बाढ़ के पानी से न केवल खेत बल्कि सड़कें भी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। बरबारा में सड़क कट जाने से यातायात बाधित हो गया है। चेलारी के पास कटी सड़क से बने गड्ढों में बच्चे और युवक नहाने का आनंद ले रहे हैं, लेकिन यह स्थिति भी खतरे से खाली नहीं है।
फसलों को भारी नुकसान
बाढ़ ने कृषि को सबसे अधिक प्रभावित किया है। पटियाली, सहावर और सदर तहसील के बाढ़ग्रस्त इलाकों में लगभग 5 हजार हेक्टेयर फसल पानी में डूब गई है। मक्का, बाजरा, धान, गन्ना, अरबी जैसी फसलें नष्ट हो चुकी हैं। किसानों का कहना है कि मक्का की फसल सड़ गई है और धान भी बर्बादी के कगार पर है।
स्कूल और धर्मशालाएं जलमग्न
लहरा और आसपास के क्षेत्रों के स्कूलों और धर्मशालाओं में पानी भर गया है, जिससे बच्चों की पढ़ाई ठप हो गई है। गंगा किनारे रहने वाले गरीब परिवारों और साधु-संतों को भी पलायन करना पड़ रहा है।
कादरगंज घाट का कच्चा बांध संकट में
गंगा के उफान का सबसे बड़ा खतरा अब कादरगंज घाट के कच्चे बांध पर मंडरा रहा है। यह बांध पिछले साल मनरेगा के तहत बनाया गया था, ताकि कादरगंज और आसपास के गांव बाढ़ और कटान से सुरक्षित रहें। लेकिन इस साल की बारिश और गंगा की तेज धारा ने बांध को कमजोर कर दिया है। कई जगह मिट्टी कटने और दरारें आने लगी हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर यह बांध टूट गया, तो कादरगंज और पास के गांवों में तबाही और बढ़ जाएगी।
सरकार और प्रशासन की चुनौतियां
स्थानीय प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है। प्रभावित गांवों में नावों के जरिए लोगों को निकाला जा रहा है। चिकित्सा दल भी भेजे गए हैं, लेकिन बाढ़ का प्रवाह तेज होने के कारण राहत कार्य में दिक्कतें आ रही हैं। प्रशासन ने ग्रामीणों को सतर्क रहने और खतरे वाले क्षेत्रों से दूर रहने की अपील की है।
गांवों में चिंता और अनिश्चितता का माहौल
गांवों में अब केवल बाढ़ का पानी ही नहीं, बल्कि अनिश्चितता का माहौल भी फैला हुआ है। ग्रामीण चिंतित हैं कि अगर बारिश और तेज हुई तो स्थिति और गंभीर हो जाएगी। बाढ़ उतरने में अभी समय लगेगा और तब तक ग्रामीणों को अस्थायी आश्रयों में रहना पड़ेगा।
विशेषज्ञों की राय
बाढ़ विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार बारिश और बैराजों से छोड़े गए पानी के कारण गंगा का जलस्तर सामान्य से कई गुना अधिक हो गया है। अगर जलस्तर में जल्द कमी नहीं आई, तो फसलों और ग्रामीण बुनियादी ढांचे का नुकसान और बढ़ सकता है।