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FIR के बाद ‘कांवड़ कविता’ विवाद में बोले रजनीश गंगवार – कविता पर अडिग, डरने वाला नहीं

INDC Network : बरेली, उत्तर प्रदेश : बरेली के शिक्षक और कवि डॉ. रजनीश गंगवार की कविता पर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा। एफआईआर, धमकियों और विरोध के बावजूद शिक्षक ने दो टूक कहा कि वह अपनी कविता पर अडिग हैं। उन्होंने कहा कि कविता का उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाएं ठेस पहुंचाना नहीं, बल्कि बच्चों को शिक्षा की ओर मोड़ना था। यह मामला न केवल साहित्यिक स्वतंत्रता, बल्कि अभिव्यक्ति की आज़ादी पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है।


‘कांवड़ लेकर मत जाना’ कविता को लेकर बरेली जिले के एमजीएम इंटर कॉलेज में हिंदी प्रवक्ता डॉ. रजनीश गंगवार विवादों में आ गए हैं। इस कविता को लेकर हिंदूवादी संगठनों ने उनके खिलाफ बहेड़ी थाने में एफआईआर दर्ज कराई है।

डॉ. गंगवार का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें वह अपने बचाव में स्पष्ट कहते हैं कि उनका उद्देश्य किसी धर्म या आस्था को ठेस पहुंचाना नहीं था, बल्कि बच्चों को शिक्षा के महत्व को समझाना था।

‘कविता पर अडिग हूं’: गंगवार का बयान

डॉ. रजनीश गंगवार ने कहा, “मैं शिक्षक होने के साथ-साथ एक कवि भी हूं। मेरा कर्तव्य है कि बच्चों को सही दिशा दिखाऊं। कविता केवल यह संदेश देने के लिए थी कि छोटे बच्चे पढ़ाई पर ध्यान दें। जब वे बड़े होंगे, तब वे अपने फैसले खुद ले सकते हैं।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह अभी भी अपनी कविता पर अडिग हैं और डरने वाले नहीं हैं। उन्होंने सरकार से अपनी सुरक्षा की मांग भी की है, क्योंकि उन्हें धमकियां मिल रही हैं।

राजनीतिक और सामाजिक संदर्भ

गंगवार ने अपने बयान में उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री ओम प्रकाश राजभर का भी जिक्र किया। उन्होंने पूछा कि जब मंत्री खुद कांवड़ यात्रा पर टिप्पणियां कर चुके हैं, तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? उन्होंने तंज कसते हुए कहा,

“लड़ना है तो ढूंढ बराबर का आदमी, क्यों रास्ता रोके खड़ा है फकीर का?”

शिक्षा बनाम आस्था: एक गहरी बहस

इस पूरे विवाद के केंद्र में यह सवाल है कि क्या एक शिक्षक को बच्चों को आस्था से इतर शिक्षा की ओर प्रेरित करने का अधिकार है? क्या एक कविता, जो समाज के एक हिस्से को असहज करती है, उसे अपराध की श्रेणी में रखा जा सकता है?

डॉ. गंगवार का कहना है कि उन्होंने किसी समुदाय विशेष का नाम नहीं लिया, बल्कि कविता के माध्यम से समाज में व्याप्त कुछ कड़वी सच्चाइयों को उजागर करने की कोशिश की थी – जैसे कि कांवड़ यात्रा के दौरान होने वाली दुर्घटनाएं, नशे में धुत्त श्रद्धालु, और मारपीट की घटनाएं

संविधान और साहित्यिक अभिव्यक्ति का अधिकार

डॉ. रजनीश ने यह भी कहा कि वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के नगर अध्यक्ष रह चुके हैं और वर्तमान में स्वच्छ भारत मिशन के ब्रांड एंबेसडर भी हैं। उनका कहना है कि उन्होंने कविता के माध्यम से केवल शिक्षा का महत्व समझाने की कोशिश की थी और उन्हें अपने संवैधानिक अधिकारों पर पूरा विश्वास है।


‘कांवड़ कविता’ विवाद ने केवल एक शिक्षक को कटघरे में नहीं खड़ा किया है, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धार्मिक असहिष्णुता और शिक्षा बनाम परंपरा के मुद्दों को भी सतह पर ला दिया है। डॉ. रजनीश गंगवार का कहना है कि वह डरने वाले नहीं हैं और न ही वे पीछे हटेंगे।

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