INDC Network : लखनऊ, उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी (सपा) विधायक रागिनी सोनकर का एक बयान राजनीतिक और धार्मिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने राष्ट्रीयता को सर्वोपरि बताते हुए धर्म और देवी-देवताओं के नाम पर राजनीति करने वालों को आड़े हाथों लिया है।
रागिनी सोनकर ने कहा, “जापान में सिर्फ 50% बौद्ध हैं, लेकिन वहां बच्चों को यह सिखाया जाता है कि अगर बुद्ध भी देश का अपमान करें, तो उनके खिलाफ खड़े हो जाओ, क्योंकि देश सबसे बड़ा है। लेकिन भारत में, जहां 80% आबादी हिंदू है, यहां की सरकार यह कहने का साहस नहीं रखती कि अगर श्रीराम भी देश के खिलाफ बोलें, तो उन्हें नकार दो।
” उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार धर्म के नाम पर लोगों की भावनाओं से खेल रही है। “सरकार ‘हिंदू खतरे में’ का राग अलापकर समाज को बांट रही है, जबकि असली मुद्दों — बेरोजगारी, महंगाई और विकास — पर बात करने से बच रही है।” रागिनी सोनकर के इस बयान पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज हो गई हैं। विपक्षी दलों ने इसे तार्किक और राष्ट्रहित में बताया, वहीं भाजपा नेताओं ने इसे ‘हिंदू आस्था पर चोट’ करार दिया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह बयान धार्मिक आस्था और राष्ट्रभक्ति के बीच की बहस को और तेज कर सकता है। खासकर ऐसे समय में जब देश में चुनावी माहौल और धार्मिक मुद्दों पर ध्रुवीकरण बढ़ रहा है, इस तरह के बयान सियासी सरगर्मी को और बढ़ा देते हैं। इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें रागिनी सोनकर यह उदाहरण देते हुए कह रही हैं कि “देश सबसे ऊपर है, चाहे वह भगवान ही क्यों न हों”।