INDC Network : रायबरेली, उत्तर प्रदेश : कांग्रेस का पारंपरिक गढ़, एक बार फिर राजनीतिक सुर्खियों में है। शुक्रवार को जिला विकास एवं समन्वय समिति (दिशा) की बैठक के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और प्रदेश के कैबिनेट मंत्री दिनेश प्रताप सिंह आमने-सामने आ गए। राहुल गांधी ने बैठक में दावा किया कि समिति की अध्यक्षता का अधिकार उनके पास है, और सभी चर्चाएं उनके निर्देश के अनुसार होनी चाहिए। इस पर दिनेश प्रताप सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि जब राहुल गांधी संसद में अध्यक्ष के निर्देशों का पालन नहीं करते, तो यहाँ बैठक में उनका आदेश मानना भी जरूरी नहीं है।
इस बहस ने बैठक का माहौल गरमा दिया। राहुल गांधी का तर्क था कि स्थानीय विकास और योजनाओं की निगरानी का दायित्व सांसद और समिति अध्यक्ष के रूप में उनका है। वहीं, मंत्री सिंह का कहना था कि दिशा समिति की एक निर्धारित गाइडलाइन है और उसी के आधार पर बैठक चलनी चाहिए।
राजनीतिक रंग तब और गहरा हो गया जब बैठक से पहले राहुल गांधी का काफिला रोके जाने की घटना सामने आई। हालांकि, अगले ही दिन बैठक के दौरान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह के बेटे ने राहुल गांधी से हाथ मिलाया और खुद मंत्री मुस्कुराते हुए नजर आए। इससे यह साफ झलका कि राजनीतिक विरोध के बीच व्यक्तिगत सौहार्द्र की झलक अब भी बरकरार है।
BJP’s minister Dinesh Pratap Singh. Yesterday, when Rahul Gandhi was on a visit to Raebareli,he was raising slogans in protest along with his supporters. But today in Raebareli,he is putting his son Piyush Pratap Singh forward to shake hands, while standing nearby,bending down. pic.twitter.com/944p8bHlud
बैठक का एक और पहलू यह रहा कि ऊंचाहार विधायक मनोज कुमार पांडे ने इस बैठक का बहिष्कार कर दिया। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री की मां के अपमान के मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए थी, लेकिन प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद रायबरेली जैसे पारंपरिक कांग्रेस गढ़ में भाजपा की सक्रियता और कांग्रेस की मौजूदगी दोनों को एक साथ दिखाता है। इस बहस ने यह स्पष्ट कर दिया कि नियम और राजनीतिक भूमिका को लेकर नेताओं के बीच मतभेद गहराते जा रहे हैं।
सोशल मीडिया पर इस बहस का वीडियो वायरल हो गया है, जिससे दोनों नेताओं की छवि और जनता की धारणाओं पर असर पड़ सकता है। जनता इसे सत्ता और विपक्ष के बीच तीखे संवाद और टकराव के रूप में देख रही है।
कुल मिलाकर, यह घटना सिर्फ राजनीतिक मतभेदों तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसने राजनीतिक संवाद, नियमों की अहमियत और व्यक्तिगत रिश्तों की गर्मजोशी—सभी को एक साथ सामने ला दिया।