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फर्रुखाबाद जेलों में राखी पर्व की रौनक, बहनों ने भाइयों को बाँधी राखी

INDC Network : फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश : फर्रुखाबाद में रक्षाबंधन के अवसर पर जेलों का माहौल बेहद भावुक और खास रहा। जिले की जिला जेल और सेंट्रल जेल फतेहगढ़ में सोमवार को बहनों का तांता लगा रहा। सुबह से ही दूर-दराज के गांवों और अलग-अलग जनपदों से आई बहनें अपने भाइयों से मिलने के लिए उत्सुकता से पहुंचीं।

जैसे ही जेल के दरवाजे खुले, अंदर बहनों की चहल-पहल और राखी के गीतों से माहौल रंगीन हो गया। बहनों ने अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधकर प्रेम और सुरक्षा के इस पवित्र बंधन को मजबूत किया। भाइयों ने भी रक्षा का वचन देते हुए बहनों को आशीर्वाद दिया।


प्रशासन की विशेष तैयारियां

बहनों की भारी भीड़ को देखते हुए जेल प्रशासन ने पहले से ही पुख्ता इंतजाम किए थे। महिलाओं के बैठने की व्यवस्था, पानी, छाया और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। प्रशासन की कोशिश रही कि आने वाली किसी भी बहन को किसी प्रकार की परेशानी न हो।

जेल अधीक्षक ने बताया कि रक्षाबंधन जैसे त्योहारों पर बंदियों और उनके परिजनों के बीच मुलाकात एक भावनात्मक पल होता है। इसलिए, बहनों को अपने भाइयों से मिलने और राखी बांधने में किसी भी तरह की बाधा न आए, इसके लिए सभी जरूरी कदम उठाए गए।


भावनाओं का संगम

जेल परिसर में उस समय भावुक दृश्य देखने को मिले, जब लंबे समय बाद बहनों ने अपने भाइयों को देखा। कई बहनों की आंखें खुशी के आंसुओं से भर आईं। कुछ बहनों ने मिठाइयां और तिलक भी तैयार करके लाया था, ताकि राखी का पूरा रीति-रिवाज निभाया जा सके।

बंदियों के चेहरों पर भी अपनी बहनों से मिलने की खुशी साफ झलक रही थी। राखी बांधते समय भाई-बहन के बीच की बातचीत ने माहौल को और भी मानवीय बना दिया।


दोनों जेलों में एक जैसी रौनक

सेंट्रल जेल फतेहगढ़ और जिला जेल फर्रुखाबाद दोनों ही जगहों पर रक्षाबंधन का त्योहार एक जैसी धूमधाम से मनाया गया। दोनों जेलों में सुबह से ही मुलाकात का सिलसिला शुरू हो गया था, जो दोपहर तक जारी रहा।

जेल प्रशासन ने मुलाकात कक्ष में बहनों और भाइयों के बैठने के लिए अलग-अलग व्यवस्था की थी। सभी मुलाकातें सुरक्षा मानकों के तहत हुईं।


त्योहार का सामाजिक महत्व

रक्षाबंधन न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को भी संजोए रखने का अवसर है। जेल में इस त्योहार का आयोजन बंदियों को मानवीय संवेदनाओं से जोड़ने और उनके मानसिक स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव लाने का भी माध्यम बनता है।

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