INDC Network : मैनपुरी,उत्तर प्रदेश : जनपद मैनपुरी के प्रसिद्ध गणितज्ञ एवं ए0आर0पी0 (गणित) श्री रत्नेश कुमार ने एक बार फिर शिक्षा जगत में जिले और प्रदेश का नाम रोशन किया है। उनके द्वारा खोजा गया बहुचर्चित गणितीय सूत्र “विभाज्यता का महासूत्र” अब राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT), उत्तर प्रदेश की प्रतिष्ठित पुस्तक “उद्गम” और “उद्गम पोर्टल” में प्रकाशित हो चुका है।
इसका विमोचन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 5 सितम्बर 2025 को शिक्षक दिवस के अवसर पर लखनऊ स्थित एससीईआरटी मुख्यालय में किया। इसी कार्यक्रम में उद्गम पोर्टल का शुभारंभ भी हुआ। इस पुस्तक और पोर्टल में प्रदेश के कुल 30 नवाचारी शिक्षकों के विशेष कार्यों को स्थान दिया गया है, जिनमें रत्नेश कुमार का सूत्र प्रमुखता से शामिल है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर घोषणा की कि “उद्गम पुस्तक” प्रदेश के प्रत्येक परिषदीय, माध्यमिक और अन्य विद्यालयों तक पहुँचेगी। साथ ही, विद्यालय की प्रार्थना सभाओं में नवाचार करने वाले शिक्षकों का परिचय छात्रों को कराया जाएगा ताकि अधिक से अधिक विद्यार्थी और शिक्षक नवाचार की ओर प्रेरित हो सकें।
सम्मान और बधाइयाँ
इस उपलब्धि की जानकारी मिलते ही मैनपुरी जनपद और प्रदेशभर में खुशी की लहर दौड़ गई। शिक्षा जगत के लोग उत्साहित होकर रत्नेश कुमार को बधाई संदेश भेजने लगे।
ज्ञान ज्योति पब्लिक स्कूल, मेरापुर छदामी, मैनपुरी के प्रधानाध्यापक व डायरेक्टर संजीव कुमार शाक्य ने विद्यालय में रत्नेश कुमार का भव्य स्वागत किया। उनकी पत्नी शिक्षिका श्रीमती सपना ने उन्हें मिठाई खिलाकर सम्मानित किया। विद्यालय के पूरे स्टाफ ने मां सरस्वती की प्रतिमा भेंट कर गौरव व्यक्त किया।
संजीव शाक्य ने कहा—“गणितज्ञ रत्नेश कुमार ने न केवल मैनपुरी बल्कि प्रदेश और देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है।”
जनपद के कई शिक्षा अधिकारियों और शिक्षकों ने उन्हें शुभकामनाएँ दीं। डायट प्राचार्य ने कहा कि यह सूत्र शिक्षा जगत के लिए अत्यंत उपयोगी है और शीघ्र ही इसका गहन अध्ययन किया जाएगा। शिक्षक अभिनव प्रताप ने इसे बेसिक शिक्षा का मान बढ़ाने वाली उपलब्धि बताया, जबकि संगठन के कोषाध्यक्ष अमित दुबे ने कहा—“आपने प्राथमिक शिक्षक एवं प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन का नाम गौरवान्वित किया है।”
प्रदेश और बाहर से मिली सराहना
मैनपुरी जनपद के शिक्षकों के साथ-साथ प्रदेश के अन्य जिलों से भी रत्नेश कुमार को शुभकामनाएँ मिलीं। सिद्धार्थनगर के नवाचारी शिक्षक अभिषेक ने कहा—“रत्नेश जी का कार्य भविष्य में न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व को नई दिशा देगा।”
उल्लेखनीय उपलब्धियाँ
रत्नेश कुमार के “विभाज्यता का महासूत्र” को इससे पहले भारत सरकार द्वारा कॉपीराइट प्रमाणपत्र मिल चुका है, जो विश्व के 181 देशों में मान्य है। यह सूत्र पहले ही कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं, शैक्षणिक वेबसाइटों और समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चुका है। इसके अलावा उन्हें देशभर के अनेक मंचों पर सम्मान भी प्राप्त हो चुका है।
आभार और संदेश
गणितज्ञ रत्नेश कुमार ने इस अवसर पर राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की शोध प्रवक्ता गुंजन मैडम, सहयोगी लाल बहादुर और अभिषेक जी का विशेष रूप से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा—“उनके सहयोग के बिना यह उपलब्धि संभव नहीं थी। यह सम्मान न केवल मेरा है बल्कि उन सभी शिक्षकों का है जो शिक्षा जगत को नई दिशा देने का कार्य कर रहे हैं।”
इस प्रकार, शिक्षक दिवस पर मिली यह उपलब्धि न केवल रत्नेश कुमार के लिए, बल्कि संपूर्ण शिक्षा जगत और मैनपुरी जनपद के लिए भी गर्व का क्षण है।