INDC Network : देश-विदेश : नई दिल्ली :भारतीय रुपया बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87 से नीचे गिर गया, जो पिछले चार महीनों का सबसे निचला स्तर है। गिरावट के पीछे भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में देरी, वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और आयातकों की डॉलर मांग प्रमुख कारण हैं। विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा निर्यात पर 20–25% टैक्स की चेतावनी ने भी रुपये पर दबाव बढ़ाया है।
भारतीय रुपया बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.15 तक गिर गया, जो मध्य मार्च के बाद का सबसे निचला स्तर है। इससे पहले मंगलवार को रुपया 21 पैसे टूटकर 86.91 पर बंद हुआ था।
इस गिरावट के पीछे मुख्य कारण भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते में अनिश्चितता, वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी, और डॉलर की मजबूत मांग मानी जा रही है। विश्लेषकों का मानना है कि जुलाई माह के अंत में आयातकों द्वारा डॉलर की अधिक मांग और विदेशी निवेशकों द्वारा पूंजी निकासी ने रुपये को कमजोर किया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बयान दिया कि भारतीय निर्यात पर 20–25% तक का टैरिफ लगाया जा सकता है, जिससे भारत का करंट अकाउंट घाटा और निर्यातकों का मार्जिन प्रभावित होगा। यह बयान बाजार में नकारात्मक धारणा पैदा कर रहा है।
रिलायंस सिक्योरिटीज के वरिष्ठ अनुसंधान विश्लेषक जिगर त्रिवेदी ने बताया, “अमेरिकी-भारत व्यापार वार्ता में देरी और निर्यात पर टैरिफ की संभावनाओं ने रुपये पर दबाव बढ़ा दिया है। यदि टैरिफ लागू होता है तो अगस्त में USD/INR 88.00 तक जा सकता है।”
वर्तमान में रुपया की हालत
इस बीच रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार ने 1 अगस्त की डेडलाइन से पहले नए व्यापार रियायतों पर रोक लगा दी है। सरकार अब सितंबर या अक्टूबर में व्यापक द्विपक्षीय समझौता करने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के एमडी अमित पबारी ने कहा, “रुपया कमजोर होता जा रहा है क्योंकि न तो व्यापार वार्ता में प्रगति हो रही है, न ही तेल कीमतों में राहत मिल रही है। यदि ये स्थितियां बनी रहती हैं, तो रुपये पर दबाव और बढ़ेगा।”
घरेलू मोर्चे पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की अगली मौद्रिक नीति बैठक पर बाजार की नजर है।
पबारी ने कहा, “यदि RBI अधिक सतर्क और मजबूत रुख अपनाता है तो यह रुपये को थोड़ा सहारा दे सकता है। लेकिन यदि रुख नरम रहा, तो रुपये की गिरावट और तेज हो सकती है।”
तकनीकी दृष्टिकोण से, रुपये के लिए 87.20 से 87.35 का स्तर एक अहम जोन है। यदि यह स्तर पार हुआ, तो RBI हस्तक्षेप कर सकता है। वहीं नीचे की ओर 86.20 से 86.50 पर समर्थन देखा जा रहा है।