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मृत्यु से पहले सत्यपाल मलिक का देश को अंतिम संदेश: रिश्वत, आंदोलन, और सरकार से सीधा सवाल

INDC Network : नई दिल्ली, भारत : पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने अपने अंतिम दिनों में सोशल मीडिया पर एक भावुक संदेश जारी कर देशवासियों से सच्चाई साझा की। ICU में भर्ती रहते हुए उन्होंने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए, रिश्वत के प्रस्तावों को ठुकराने, किसान आंदोलन, महिला पहलवानों और पुलवामा हमले को लेकर अपनी भूमिका स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि वह न झुके, न डरे, और जीवन भर ईमानदारी से देश की सेवा की।

अंतिम संदेश: “मैं झुका नहीं, ना ही डरा, देश से सच्चाई छिपाई न जाए” – सत्यपाल मलिक

पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ राजनीतिज्ञ सत्यपाल मलिक का निधन भले ही देश के लिए एक क्षति है, लेकिन उनकी अंतिम सोशल मीडिया पोस्ट ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में एक नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने अपने जीवन के आखिरी दिनों में ICU से देशवासियों के नाम एक खुला संदेश जारी किया जिसमें उन्होंने सरकार की कार्यप्रणाली, भ्रष्टाचार, आंदोलनों और अपने राजनीतिक जीवन के संघर्षों को बेबाकी से उजागर किया।

पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने अपने अंतिम दिनों में सोशल मीडिया पर एक ऐतिहासिक संदेश साझा किया जिसमें उन्होंने अपने जीवन के अनुभव, भ्रष्टाचार के विरोध, आंदोलनों में भागीदारी और सरकार के रवैये पर खुलकर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि वह एक कमरे के मकान में रहते हैं और सरकारी एजेंसियों के डर से कभी नहीं झुके। उनका अंतिम संदेश भारतीय राजनीति में सच्चाई और ईमानदारी की मिसाल बन गया है।

ICU से आई आवाज़

सत्यपाल मलिक ने लिखा: “मैं पिछले लगभग एक महीने से अस्पताल में भर्ती हूं और किडनी की समस्या से जूझ रहा हूं… मेरी हालत गंभीर होती जा रही है। मैं रहूं या ना रहूं, इसलिए सच्चाई बताना चाहता हूं।”

उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें जब राज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया था, तब उन्हें ₹150-150 करोड़ की रिश्वत देने की पेशकश की गई थी, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। उन्होंने कहा कि उनके राजनीतिक गुरु चौधरी चरण सिंह की ईमानदार परंपरा को उन्होंने कभी नहीं छोड़ा।


किसान आंदोलन और अन्य जन आंदोलनों में समर्थन

सत्यपाल मलिक ने दो बड़े आंदोलनों का ज़िक्र किया:

  • किसान आंदोलन: उन्होंने बताया कि राज्यपाल पद पर रहते हुए उन्होंने राजनीतिक दबाव के बावजूद किसानों के पक्ष में आवाज़ उठाई।
  • महिला पहलवान आंदोलन: उन्होंने लिखा कि वे जंतर-मंतर से इंडिया गेट तक हर मोर्चे पर महिला खिलाड़ियों के साथ खड़े रहे।

पुलवामा हमले की जांच की मांग

उन्होंने लिखा: “मैंने पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों के मसले को उठाया, लेकिन आज तक सरकार ने कोई जांच नहीं करवाई है।” उन्होंने इस मुद्दे को लेकर सरकार की निष्क्रियता पर सीधा सवाल खड़ा किया।


सरकार से नाराजगी और ईमानदारी का दावा

उन्होंने यह भी बताया कि सरकार उन्हें CBI के नाम पर डराने की कोशिश कर रही है और झूठे मामलों में फंसाना चाहती है। उन्होंने कहा कि जिस टेंडर को लेकर उन्हें निशाना बनाया जा रहा है, उसे उन्होंने खुद रद्द किया था और बाद में यह टेंडर किसी और के हस्ताक्षर से हुआ। “मैं किसान कौम से हूं, न डरने वाला हूं, न झुकने वाला हूं।”


जीवन का यथार्थ और गरीबी की पीड़ा

सत्यपाल मलिक ने यह भी उजागर किया कि: “मैं एक कमरे के मकान में रह रहा हूं और कर्ज में डूबा हूं। अगर पैसे होते तो प्राइवेट अस्पताल में इलाज करवाता।”


उनके अंतिम शब्दों का उद्देश्य

उन्होंने आग्रह किया कि जनता को सच्चाई बताई जाए – कि उन्हें जांच में कुछ नहीं मिला। उनका यह संदेश न सिर्फ भावुक था बल्कि एक ऐसे नेता की ईमानदार पुकार थी जो अंतिम समय तक अपने सिद्धांतों पर अडिग रहा।

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