INDC Network : पिलिभीत, उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश के पिलिभीत जिले में मई से जुलाई 2025 के बीच पांच अलग-अलग गांवों में तीन साल छह महीने की एक बाघिन ने कहर बरपाया। 14 मई से 17 जुलाई के बीच इस बाघिन ने पांच ग्रामीणों की जान ले ली, जिनमें एक महिला भी शामिल थी। इस सिलसिलेवार घटनाओं ने इलाके में दहशत और आक्रोश फैला दिया था।
कैसे हुई बाघिन की पहचान और गिरफ्तारी
पिलिभीत टाइगर रिजर्व (PTR) की टीम ने सात दिनों तक बाघिन को पकड़ने के लिए एक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। 24 जुलाई की शाम करीब 7 बजे थर्मल ड्रोन कैमरे की मदद से बाघिन को गन्ने के खेत में देखा गया। इसके बाद उसे दो डार्ट्स के ज़रिए बेहोश कर PTR में चिकित्सकीय निगरानी में रखा गया। वन अधिकारियों के अनुसार बाघिन पूरी तरह स्वस्थ है और उसमें किसी तरह की शारीरिक चोट या विकृति नहीं पाई गई।
क्यों नहीं छोड़ा गया जंगल में
उत्तर प्रदेश की प्रमुख वन्यजीव वार्डन अनुराधा वेमुरी ने बताया कि बाघिन को दोबारा जंगल में छोड़ना बेहद खतरनाक हो सकता है क्योंकि यह बार-बार ग्रामीण इलाकों में घुसने और खेतों में छिपने की आदत डाल चुकी है। इसलिए उसे जंगल में छोड़ने की संभावना को खारिज कर दिया गया। अब यह बाघिन अपनी बाकी जिंदगी कानपुर चिड़ियाघर में बिताएगी।
बाघिन कैसे बनी इंसानों की दुश्मन: रहस्य बरकरार
PTR के डीएफओ मनीष सिंह ने बताया कि इस बाघिन को कई बार नहर के पास, जंगल के बाहर देखा गया था। यह इलाका PTR, मैलानी फॉरेस्ट रेंज और किशनपुर वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी के संयुक्त बिंदु पर स्थित है। उन्होंने कहा कि आम तौर पर बाघ केवल दुर्घटनावश या शिकार की असमर्थता में ही इंसानों पर हमला करते हैं। लेकिन इस केस में कोई शारीरिक बाधा नहीं मिली, जो इसे एक रहस्यमयी मामला बनाता है।
मृतकों की सूची और गांव
शेष दो हमले भी आसपास के गांवों में हुए, जिनसे इलाके में भय और रोष फैल गया।
14 मई – नज़ीरगंज गांव में एक किसान की हत्या
18 मई – हरिपुर किशनपुर में दूसरा हमला
17 जुलाई – बिठरा मंडरिया गांव में तीसरी मौत