INDC Network : देश-विदेश : नई दिल्ली, भारत : अमेरिका का भारत पर टैरिफ हमला: ट्रंप प्रशासन ने रूस से तेल खरीद पर दी सज़ा, व्यापार पर गहराया संकट
वॉशिंगटन डीसी से आई एक बड़ी और चौंकाने वाली खबर में, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयातित वस्तुओं पर लगाए गए टैरिफ को 25 प्रतिशत से बढ़ाकर सीधे 50 प्रतिशत कर दिया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब भारत रूस से तेल आयात जारी रखे हुए है और अमेरिका इसे यूक्रेन युद्ध के परिप्रेक्ष्य में देख रहा है। ट्रंप ने इस निर्णय को एक कार्यकारी आदेश (Executive Order) के तहत लागू किया है, जो 21 दिन बाद प्रभाव में आ जाएगा।
आदेश की पृष्ठभूमि
इस कार्यकारी आदेश का सीधा संबंध अमेरिकी प्रतिबंध नीति और रूस-यूक्रेन युद्ध से है। ट्रंप प्रशासन पहले ही मार्च 2022 में कार्यकारी आदेश 14066 के माध्यम से रूस से कुछ वस्तुओं के आयात पर रोक लगा चुका था। इस आदेश का उद्देश्य रूस के उन कदमों को रोकना था जो उसने यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ उठाए थे।
अब ट्रंप ने भारत को भी इस आपातकालीन आर्थिक नीति के तहत निशाना बनाया है, क्योंकि अमेरिका का मानना है कि भारत प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रूसी तेल का आयात कर रहा है। यही कारण है कि अमेरिका ने भारत पर लगाए गए टैरिफ को 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है।
आदेश की प्रमुख बातें
इस कार्यकारी आदेश में राष्ट्रपति ने कहा है कि—
- भारत सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से रूसी तेल का आयात कर रहा है।
- अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के लिहाज से यह खतरे की बात है।
- इस आदेश के तहत भारत से आने वाली वस्तुओं पर अतिरिक्त 25% का शुल्क लगेगा।
- कुल मिलाकर, भारतीय उत्पादों पर 50% तक का आयात शुल्क लगाया जाएगा।
यह टैरिफ उन वस्तुओं पर लागू होगा जो आदेश जारी होने के 21 दिन बाद अमेरिका में उपभोग के लिए दाखिल की जाएंगी या गोदामों से बाहर निकाली जाएंगी। हालांकि, उन वस्तुओं को इससे छूट दी गई है जो पहले ही जहाजों में लदी जा चुकी हैं और अमेरिका की सीमा में दाखिल होने के लिए यात्रा कर रही हैं।
भारत पर प्रभाव
यह फैसला भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर बड़ा असर डाल सकता है। भारत अमेरिका के लिए एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार है और बड़ी संख्या में वस्तुएं—जैसे फार्मास्युटिकल्स, टेक्सटाइल, ऑटो पार्ट्स, इंजीनियरिंग गुड्स और आर्गेनिक केमिकल्स—अमेरिका को निर्यात करता है। इन सभी पर टैरिफ बढ़ने से:
- भारतीय निर्यातकों की लागत बढ़ेगी,
- अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा घटेगी,
- और भारत को आर्थिक रूप से नुकसान हो सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत के निर्यात पर गंभीर असर पड़ सकता है और भारत को नई रणनीतियों पर विचार करना पड़ सकता है।
अमेरिकी रुख और रूस-यूक्रेन युद्ध
अमेरिका ने पिछले तीन वर्षों में रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। इनमें ऊर्जा सेक्टर से लेकर बैंकों और अधिकारियों की संपत्ति जब्त करना शामिल है। अब, जब अमेरिका ने पाया कि रूस से तेल का व्यापार कुछ देशों के जरिए जारी है, तो उसने उन देशों को भी टारगेट करना शुरू कर दिया है।
भारत पर ट्रंप का यह कदम इसी रणनीति का हिस्सा है, जिससे रूस को आर्थिक रूप से अलग-थलग किया जा सके। व्हाइट हाउस के बयान में कहा गया है कि यह आदेश इसलिए ज़रूरी है ताकि रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों को मजबूती से लागू किया जा सके।
भारत की संभावित प्रतिक्रिया
भारत ने अभी तक इस फैसले पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि भारत WTO (World Trade Organization) में इस आदेश को चुनौती दे सकता है। भारत के पास यह विकल्प भी है कि वह अमेरिका के कुछ उत्पादों पर प्रतिशोधात्मक टैरिफ लगाए, जैसा कि उसने पहले स्टील और एल्युमिनियम टैरिफ के मामले में किया था।
कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान
- स्टैकिंग ऑफ ड्यूटीज़: इस आदेश में कहा गया है कि यह नया टैरिफ पहले से लागू किसी भी टैरिफ या टैक्स के अतिरिक्त होगा, यानी “डबल टैरिफ” लगेगा।
- ट्रेड जोन शर्तें: विदेशी ट्रेड ज़ोन में आने वाले उत्पादों को “प्रिविलेज फॉरेन स्टेटस” में दाखिल करना अनिवार्य होगा।
- मोनीटरिंग एंड रिव्यू: आदेश में यह भी कहा गया है कि अमेरिका अन्य देशों पर भी नजर रखेगा जो रूस से तेल खरीद रहे हैं और ज़रूरत पड़ने पर उनके खिलाफ भी ऐसे ही कदम उठाए जाएंगे।
व्यापारिक विश्लेषकों की राय
व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि यह निर्णय 2025 की अमेरिकी चुनावी राजनीति का हिस्सा भी हो सकता है, जिसमें ट्रंप अपनी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। इससे घरेलू उद्योगों को राहत मिलेगी लेकिन वैश्विक व्यापार पर असर पड़ेगा।
इसके अलावा, अगर भारत इस फैसले का कड़ा विरोध करता है तो अमेरिका और भारत के संबंधों में तनाव आ सकता है, खासकर ऐसे समय में जब दोनों देश चीन की आक्रामकता को लेकर सामरिक साझेदारी बढ़ा रहे हैं।
डोनाल्ड ट्रंप का यह फैसला भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में एक नई चुनौती के रूप में सामने आया है। भारत को न केवल अपनी व्यापारिक रणनीति में बदलाव करना होगा, बल्कि कूटनीतिक रूप से भी अमेरिका से बात करनी होगी ताकि इस मसले का समाधान हो सके। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत इस पर क्या कदम उठाता है और क्या अमेरिका अन्य देशों पर भी इसी तरह की कार्रवाई करता है।
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