INDC Network : बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जनपद में एक बार फिर प्रकृति की मार ने किसानों को चिंता में डाल दिया है। जिले से होकर बहने वाली काली नदी का जलस्तर अचानक से खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। यह स्थिति हापुड़ जिले की देवनागरी नहर और मुंडा खेड़ा एस्केप से अत्यधिक पानी छोड़े जाने के कारण उत्पन्न हुई है।
कई गांवों में खेत जलमग्न, दो से तीन फीट तक पानी प्रभावित क्षेत्र मुख्यतः बुलंदशहर सदर और शिकारपुर ब्लॉक के गांव हैं, जहां दो से तीन फीट तक खेतों में पानी भर चुका है। इससे सबसे अधिक नुकसान किसानों को हुआ है, जिनकी फसलें अब बर्बादी की कगार पर हैं। गांव अच्छेजा घाट के किसान चौधरी निशांत सिंह ने बताया कि उनके खेतों में पूरी तरह से पानी भर गया है और फसलों को भारी नुकसान की आशंका है।
प्रशासन सतर्क, लेखपालों की टीम सर्वे में जुटी स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने तत्परता दिखाई है। अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) प्रमोद पांडेय ने बताया कि प्रशासन लगातार हालात पर नजर बनाए हुए है। खेतों में पानी भरने की शिकायत मिलने के बाद लेखपालों की टीम को गांवों में भेजा गया है जो नुकसान का आंकलन कर रही है। अगर किसानों को नुकसान होता है तो उसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी ताकि मुआवजा प्रक्रिया शुरू की जा सके।
फसलें संकट में, किसान चिंतित जलस्तर में अचानक वृद्धि और खेतों में भरे पानी से खरीफ फसलों – जैसे धान, मक्का, बाजरा आदि – को सबसे ज्यादा खतरा है। खेतों में लगातार तीन फीट पानी बना रहना जड़ सड़न, फंगस संक्रमण और पौधों के गलने जैसी समस्याएं ला सकता है। किसान अभी तक मानसून से उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन अब इसी बारिश और पानी ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया है।
जल प्रबंधन पर उठे सवाल स्थानीय लोग जल प्रबंधन की असफलता पर सवाल उठा रहे हैं। हापुड़ से अचानक पानी छोड़े जाने की सूचना समय पर नहीं मिलने से स्थानीय प्रशासन व किसान तैयार नहीं थे। इससे पहले भी इस क्षेत्र में जलभराव की समस्या सामने आती रही है, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं हो पाया है।
स्थिति अब भी गंभीर, राहत की आवश्यकता ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जलभराव से होने वाली परेशानियों से राहत दिलाने के लिए उचित प्रबंधन और समयबद्ध निस्तारण की जरूरत है। प्रशासन के मुताबिक, यदि जलस्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो राहत और बचाव दलों की भी तैनाती की जा सकती है।