INDC Network : फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के सदर तहसील क्षेत्र में गंगा नदी का कटान लगातार भयावह रूप लेता जा रहा है। पिछले पंद्रह दिनों से गंगा का पानी तेजी से गांवों की ओर बढ़ रहा है और अपनी धारा में मकानों और खेतों को समेटता चला जा रहा है। ताजा घटना में ग्राम प्रधान शहनाज का जरदोजी कारखाना और कार्यालय नदी में समा गया। ग्राम प्रधान के पति ने बताया कि शनिवार शाम जब परिवार और गांव के लोग बैठे थे, अचानक कार्यालय का पूरा भवन नदी में धंस गया। कटान की शुरुआत नीचे से हुई, जिसके चलते किसी को संभलने का मौका ही नहीं मिला और देखते ही देखते घरेलू सामान भी नदी में बह गया।
यह घटना गांव पंख्यान की मड़ैया में हुई, जहां गंगा का कटान पिछले कई दिनों से जारी है। इससे पहले ही गांव के इदरीश, अब्दुल रहमान, लाल खां और नसीम के मकान गंगा में समा चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि खेतों में भरा पानी जब गंगा में लौटता है, तो कटान और तेजी पकड़ लेता है। शनिवार सुबह नदी का जलस्तर कुछ समय के लिए स्थिर रहा, लेकिन दोपहर बाद खेतों का पानी लौटने से कटान ने फिर विकराल रूप ले लिया।
पंख्यान की मड़ैया ही नहीं, बल्कि समीपवर्ती पृथ्वीपुर गांव की स्थिति और भी गंभीर है। यहां लगभग सभी घर बाढ़ और कटान की वजह से प्रभावित हो चुके हैं। कई मकानों में गहरी दरारें पड़ गई हैं, जबकि कुछ पूरी तरह ढह गए हैं। डर और दहशत का माहौल इस कदर है कि कई परिवार गांव छोड़कर ऊंचाई वाले सुरक्षित स्थानों पर पलायन कर चुके हैं।
ग्रामीणों के अनुसार, हर साल बारिश और बाढ़ के दौरान गंगा का कटान होता है, लेकिन इस बार स्थिति अधिक गंभीर है। गंगा की धारा इतनी तेज़ है कि मिट्टी कटने की रफ्तार रुकने का नाम नहीं ले रही। कटान की वजह से जहां लोगों के मकान और खेत बह रहे हैं, वहीं गांव का अस्तित्व भी संकट में आ गया है। स्थानीय लोग प्रशासन से बार-बार गुहार लगा रहे हैं कि कटान को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नज़र नहीं आया है।
ग्राम प्रधान के कार्यालय और कारखाने के नदी में समा जाने के बाद ग्रामीणों का आक्रोश भी सामने आया। लोगों का कहना है कि प्रशासन केवल निरीक्षण करता है लेकिन बचाव कार्य में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती। यदि समय रहते तटबंध मजबूत किए जाते तो आज गांव की यह हालत न होती।
विशेषज्ञों का मानना है कि गंगा नदी के लगातार कटान की एक बड़ी वजह तटबंधों की कमजोरी और अनियंत्रित जल प्रवाह है। मानसून के दौरान भारी बारिश और खेतों का पानी गंगा में जाने से नदी का जलस्तर अचानक बढ़ जाता है और वह किनारे तोड़ने लगती है। यदि जल्द ही प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो गांव का बड़ा हिस्सा गंगा में समा जाएगा और सैकड़ों परिवार बेघर हो जाएंगे।
फिलहाल प्रशासन ने हालात पर नज़र बनाए रखने की बात कही है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि केवल निगरानी से समाधान नहीं होगा। उन्हें उम्मीद है कि सरकार और जिला प्रशासन जल्द से जल्द ठोस कदम उठाकर गंगा कटान पर रोक लगाएगा, ताकि गांव का अस्तित्व बचाया जा सके और लोग सुरक्षित जीवन जी सकें।



















